उत्तर प्रदेशसुलतानपुर

लखनऊ में परशुराम की मूर्ति लगाने वाले सपा नेता के घर पहुंची पुलिस, बीजेपी पर लगाया फर्जी केस में फंसाने का आरोप

लखनऊ में परशुराम की मूर्ति लगाने वाले सपा के पूर्व विधायक संतोष पांडेय के घर आज पुलिस पहुंच गई. सुल्तानपुर में पुलिस की कार्रवाई से गुस्साए सपा नेता ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्हें फर्जी केस में फंसाने की कोशिश की जा रही है. लेकिन लंबुआ के सीओ ने बातचीत में उनके सभी आरोपों को निराधार बताया है. संतोष पांडेय ने आरोप लगाया कि बिना किसी नोटिस और पूर्व सूचना के ही पुलिस ने उनके घर पर धावा बोल दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि लंबुआ थाने के साथ ही दूसरे थानों की पुलिस ने हथियारों के साथ उनके घर में घुसकर उन्हें धमकाने की कोशिश की.

सपा के पूर्व विधायक का आरोप है कि बीजेपी ने राजनीतिक प्रतिद्वंदता की भावना के तहत उनके घर पुलिस भेजी है. संतोष पांडेय ने आरोप लगाया की स्थानीय बीजेपी विधायक देवमणि उनकी लोकप्रियता से काफी चिढ़ते हैं. इसीलिए उन्हें फंसाने के लिए उनके घर पर पुलिस भेजी गई है. साथ ही उन्होंने कहा कि वह पुलिस की कार्रवाई से डरने वाले नहीं हैं. सपा नेता ने कहा कि जब उनके घर पुलिस फोर्स भेजी गई तो उन्होंने तुरंत सीओ को फोन किया. उन्होंने सीओ से कहा कि अगर वह अपराधी हैं तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाए.

‘मारपीट केस में सपा नेता के घर पहुंची पुलिस’

वहीं TV9 से बातचीत में पुलिस ने लंबुआ के सीओ सतीष शुक्ला ने सपा नेता के सभी आरोपों को गलत बताया. पुलिस अधिकारी ने कहा कि उनके सभी आरोप निराधार हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक के खिलाफ मारपीट का केस दर्ज है. इसी सिलसिले में पुलिस उनके घर पहुंची थी. साथ ही उन्होंने कहा कि संतोष पांडेय को गिरफ्तार नहीं किया गया है. बता दें कि सपा नेता संतोष पांडेय ने 21 दिसंबर को लखनऊ के मोहनलालगंज में परशुराम की मूर्ति लगाई थी.

बीजेपी पर फर्जी केस में फंसाने का आरोप

सपा नेता ने महुराकल गांव में परशुराम की मूर्ति लगाई है. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे इसी गांव के पास से होकर गुजरता है. इस मूर्ति के लोकार्पण के लिए खुद अखिलेश यादव महुराकला जाने वाले हैं. हालांकि वह किस दिन जाएंगे यह अभी तक फ नहीं है. लेकिन अखिलेश के मूर्ति लोकार्पण से पहले ही संतोष पांडेय के घर पुलिस पहुंच गई है. अब वह बीजेपी पर बदले की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं. दरअसर यूपी में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी जारी है.

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