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आम आदमी को लगा एक और झटका! नवंबर में खुदरा महंगाई दर 4.35 से बढ़कर 4.91 फीसदी हुई

देश में महंगाई बढ़ती जा रही है. नवंबर में खुदरा महंगाई की दर (CPI) बढ़कर 4.91 फीसदी होगी गई है. इससे पहले अक्टूबर में रिटेल महंगाई 4.35 फीसदी पर रही थी. खाने की चीजों की रिटेल महंगाई नवंबर में बढ़कर 1.87 फीसदी हो गई है. वहीं, सब्जियों की रिटेल महंगाई की बात करें, तो यह -13.62 फीसदी पर रही है. दूसरी तरफ, दालों की रिटेल महंगाई 3.18 फीसदी पर रही है. कपड़ों और जूतों की रिटेल महंगाई 7.94 फीसदी पर रही है. वहीं, तेल और ऊर्जा की रिटेल महंगाई नवंबर में 13.35 फीसदी पर पहुंच गई है. दूसरी तरफ, घरों की रिटेल महंगाई 3.66 फीसदी पर रही है.

RBI को महंगाई ज्यादा बने रहने की उम्मीद

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), अपनी द्विमासिक मॉनेटरी पॉलिसी को तय करते समय सीपीआई आधारित महंगाई को ही मुख्य तौर पर देखता है. आरबीआई को सरकार ने इसे 4 फीसदी पर रखने को कहा है, जिसके साथ दोनों तरफ 2 फीसदी का टॉलरेंस बैंड दिया गया है. आरबीआई को उम्मीद है कि इस साल बाकी के समय में महंगाई ज्यादा बनी रहने की उम्मीद है, क्योंकि बेस इफैक्ट विपरीत रहना बताया था.

आरबीआई के मुताबिक, महंगाई मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में अपनी सबसे ज्यादा ऊंचाई के स्तर पर पहुंच जाएगी और उसके बाद इसमें गिरावट दिखना शुरू होगी. सरकारी डेटा में सोमवार को दिखा है कि महंगाई में बढ़ोतरी के पीछे मुख्य वजह खाने की चीजों के दाम में इजाफा है. अक्टूबर 2021 में खुदरा महंगाई दर 4.48 फीसदी पर रही थी. वहीं, नवंबर 2020 में खुदरा महंगाई 6.93 फीसदी पर रही थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी डेटा के मुताबिक, खाने की महंगाई पिछले महीने में 0.85 फीसदी पर रही थी, जो अब 1.87 फीसदी पर पहुंच गई है.

CPI आधारित महंगाई क्या है?

आपको बता दें कि जब हम महंगाई दर की बात करते हैं, तो यहां हम कंज्यूमर प्राइस इंडैक्स (CPI) पर आधारित महंगाई की बात कर रहे हैं. सीपीआई सामान और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करती है, जिन्हें परिवार अपने रोजाना के इस्तेमाल के लिए खरीदते हैं.

महंगाई को मापने के लिए, हम अनुमान लगाते हैं कि पिछले साल की समान अवधि के दौरान सीपीआई  में कितने फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. आरबीआई अर्थव्यवस्था में कीमतों में स्थिरता रखने के लिए इस आंकड़े पर नजर रखता है. सीपीआई में एक विशेष कमोडिटी के लिए रिटेल कीमतों को देखा जाता है. इन्हें ग्रामीण, शहरी और पूरे भारत के स्तर पर देखा जाता है. एक समयावधि के अंदर प्राइस इंडैक्स में बदलाव को सीपीआई आधारित महंगाई या खुदरा महंगाई कहा जाता है.

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