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बारिश से थमे मनरेगा के काम, गिरा ग्राफ, जुलाई में 8 फीसद की गिरावट

लखनऊ। प्रदेश में इस बार हुई अधिक बारिश का प्रभाव मनरेगा पर पड़ा है। जुलाई में पिछले वर्ष की अपेक्षा मानव दिवस में 8 फीसद की गिरावट आई है। बारिश की वजह से ग्रामीण इलाकों में कच्चे-पक्के रुके हैं। वहीं, दो माह से बकाया मजदूरी न मिलने के कारण ज्यादातर श्रमिकों ने काम नहीं मांगा है।

प्रदेश के आंकड़ों पर नजर डालें तो मनरेगा में जुलाई 2024 में बारिश के दौरान 14.97 करोड़ मानव दिवस सृजित हुए थे। इस एक माह में 22,20,921 श्रमिक परिवारों ने काम किया था। जबकि जुलाई 2025 में 13.80 करोड़ मानव दिवस सृजित हुए हैं। कुल 18,24,858 श्रमिक परिवारों ने काम किया है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार जुलाई में 8 फीसद प्रगति कम रही है। यही स्थिति अगस्त में बनी हुई है। दो माह से मजदूरी भी फंसी है। इस वजह से काम की मांग कम होने से मस्टर रोल नहीं बने हैं। लखनऊ की बात करें तो अन्य जिलों की अपेक्षा मनरेगा का सीमित दायरा है। यहां इस वर्ष जुलाई में 8,666 श्रमिक परिवारों ने काम किया है, जबकि पिछले वर्ष 11,436 श्रमिक परिवारों ने काम किया था।

हाजिरी में पारदर्शिता की वजह से भी घटे श्रमिक

ग्राम रोजगार सेवक अपने मोबाइल पर नेशनल मोबाइल मॉनीटरिंग सिस्टम एप पर श्रमिकों की फोटो खींचकर हाजिरी लगाते हैं। सरकार ने एप को अपडेट किया है। इससे मस्टर रोल में दर्शाये गए जितने श्रमिक स्थल पर होंगे तो ही हाजिरी लगेगी। यदि मस्टर रोल के हिसाब से एक भी कम हुआ तो हाजिरी नहीं लगेगी। इस व्यवस्था से हाजिरी में फर्जीवाड़ा एक तरह से बंद हो गया है और श्रमिक कम हुए हैं।

उपायुक्त (रोजगार श्रम) मुख्यालय विजय चौधरी ने बताया कि इस बार अधिक बारिश से कार्य पर असर पड़ा है। इसके अलावा हाजिरी में पारदर्शिता लाने के लिए एनएमएमएस एप अपडेट किया गया है। इससे हाजिरी में कमी आई है।

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