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वुहान लैब से कोरोना के लीक होने की बात क्यों अब लगने लगी है सच? एक्सपर्ट बोले- ताइवान में सामने आए केस ने बढ़ाया संदेह

ताइवान के एक लैब कर्मचारी का देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली लैब में कोरोनावायरस से संक्रमित होने ने एक बहुत ही बड़े सिद्धांत को जन्म दिया है. दरअसल, एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर ये रिसर्चर लैब में कोरोना संक्रमित हो सकती है, तो ये मुमकिन है कि कोविड-19 का वायरस वुहान लैब से लीक हुआ हो. अगर ये बात सच साबित हो गई, तो चीन का चेहरा बेनकाब हो जाएगा. चीन लंबे वक्त से कहता आ रहा है कि कोरोनावायरस उसके यहां मौजूद वुहान लैब से लीक नहीं हुआ है. लेकिन लोगों को उसकी इस बात पर शक है.

ताइवान में गुरुवार को एक लैब कर्मचारी डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित हो गई. इस कर्मचारी को एक चूहे ने काटा था, जिसे टेस्ट के लिए कोरोनावायरस से संक्रमित किया गया था. ये टेस्ट राजधानी ताइपे में स्थित हाई सिक्योरिटी लैब में किया जा रहा था. महिला कर्मचारी की उम्र 20 साल के आस-पास है और उसने वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई थी. इसके अलावा, महिला ने विदेश यात्रा भी नहीं की थी. स्वास्थ्य जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि महिला ताइवान के प्रमुख संस्थान एकेडेमिया सिनिका में काम करते हुए वायरस से संक्रमित हुई. हालांकि, अभी तक ये पूरी तरह से साबित नहीं हुआ है कि चूहे के काटने से ही महिला संक्रमित हुई है.

वुहान लैब से वायरस लीक होने की बात लगने लगी है सच

यहां गौर करने वाली बात ये है कि अगर ये बात सच साबित होती है कि महिला के संक्रमण में चूहे का हाथ था, तो इससे इस बात को बल मिलेगा कि वैश्विक महामारी के पीछे वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का हाथा था. जहां से वायरस लीक होकर लोगों के बीच पहुंच गया होगा. बता दें कि कोरोना का पहला मामला वुहान शहर में भी सामने आया था. काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस थिंक टैंक के एक चीनी सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ यानजोंग हुआंग ने कहा, अगर लैब कर्मचारी के अपने कार्यस्थल पर संक्रमित होने की पुष्टि हो जाती है, तो इससे लैब लीक सिद्धांत की विश्वसनीयता बढ़ जाएगी.

चूहों पर होता था वायरस का टेस्ट

वुहान लैब शहर के उस मीट बाजार से कुछ दूर ही मौजूद है, जहां पर कोरोना का पहला मरीज मिला था. कोरोनावायरस एक्सपर्ट और वुहान लैब में काम करने वाली शी झेंगली ने ‘गेन ऑफ फंक्शन’ (किसी वायरस की फैलने की क्षमता में वृद्धि करना) टेस्ट में चमगादड़ों के वायरस के प्रभाव का परीक्षण करने के लिए चूहों का इस्तेमाल किया था. इस तरह के टेस्ट को दुनियाभर के देशों में बैन किया गया है, क्योंकि इससे वायरस के लैब से लीक होने का खतरा रहता है. यही वजह है कि ब्रिटेन और अमेरिका दोनों ही मुल्कों के जांचकर्ताओं ने बार-बार कहा कि लैब लीक थ्योरी संभव हो सकती है.

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