आदिवासियों के भुखमरी मामले में झारखंड के मुख्य सचिव को एनएचआरसी ने किया तलब

- आदिवासी परिवारों को जीवित रहने के लिए खानी पड़ी थीं वनस्पतियों की जड़ें
- दो बार मांगने के बावजूद रिपोर्ट न देने को एनएचआरसी ने गंभीर मामला माना
रांची। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने झारखंड के गढ़वा जिले में आठ हजार आदिवासियों की भुखमरी से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत न करने पर राज्य के मुख्य सचिव और गढ़वा के जिला मजिस्ट्रेट को 29 जून को तलब किया है। आईआरएसी के कार्यकारी निदेशक दिलीप चकमा ने आयोग के इस फैसले का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि अक्टूबर, 2021 में मीडिया में यह बताया गया था कि पिछले तीन महीनों से गढ़वा जिले में राशन से वंचित होने के कारण विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) परिवारों सहित लगभग 8,000 आदिवासी भूखों मर रहे थे। इनमें से कुछ आदिवासी परिवारों को जीवित रहने के लिए वनस्पतियों की जड़ें खानी पड़ी।
उन्होंने कहा कि इन आदिवासी परिवारों की ओर से आईआरएसी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष एक शिकायत दर्ज की। आयोग ने एक मामला दर्ज कर झारखंड सरकार के मुख्य सचिव और गढ़वा जिले के जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा।
चकमा के मुताबिक पहला नोटिस 16 नवंबर, 2021 और अंतिम 8 मार्च, 2022 को जारी किया गया था। झारखंड के मुख्य सचिव और जिला मजिस्ट्रेट दोनों ने दोनों नोटिस की अनदेखी की और एनएचआरसी को रिपोर्ट जमा नहीं की। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इसे एक गंभीर मामला माना।
आयोग ने 24 मई को जारी आदेश में झारखंड के मुख्य सचिव और गढ़वा के जिला मजिस्ट्रेट को आवश्यक दस्तावेजों के साथ नई दिल्ली में आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा है। हालांकि, यदि आवश्यक दस्तावेज 22 जून या उससे पहले प्राप्त होती है, तो संबंधित अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति को समाप्त कर दिया जाएगा।



