वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के निधन से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार, राजनीतिक विश्लेषक और देश के जाने-माने पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक का मंगलवार सुबह निधन हो गया। उनके करीबियों से मिली जानकारी के अनुसार डॉ. वैदिक सुबह गुरुग्राम स्थित अपने घर में नहाने के दौरान अचानक बेहोश हो गए। इसके बाद परिजन उन्हें अस्पताल लेकर गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। डॉ. वैदिक ने 78 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन की खबर से पत्रकार जगत में शोक की लहर छा गई।
सन 1944 में पौष माह की पूर्णिमा के दिन मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मे डॉ. वेद प्रताप वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष किया। उन्होंने 1957 में सिर्फ 13 साल की उम्र में हिन्दी के लिए सत्याग्रह किया और पहली बार जेल गए। इसके बाद उन्होंने 1958 से पत्रकारिता की शुरुआत की।
डॉ. वैदिक देश के बड़े पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक थे। उन्होंने नवभारत टाइम्स और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) जैसे मीडिया संस्थानों में काम किया। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की और वे अनेक भारतीय और विदेशी शोध-संस्थानों और विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। वे रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत के भी अच्छे जानकार थे।
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉ. वैदिक ने विभिन्न विश्व राजनीतिक नेताओं और विचारकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा। डॉ. वैदिक वर्तमान में भारतीय भाषा सम्मेलन और भारतीय विदेश नीति परिषद् के अध्यक्ष थे। वे कई प्रतिष्ठित समाचार पत्र और पत्रिकाओं के लिए नियमित लेख लिखते रहे हैं।
डॉ. वैदिक को मीडिया और भाषा के क्षेत्र में काम करने के लिए कई सम्मानों से नवाजा गया। जिनमें विश्व हिन्दी सम्मान (2003), महात्मा गांधी सम्मान (2008), दिनकर शिखर सम्मान, पुरुषोत्तम टंडन स्वर्ण-पदक, गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार, हिन्दी अकादमी सम्मान, लोहिया सम्मान, काबुल विश्वविद्यालय पुरस्कार, मीडिया इंडिया सम्मान, लाला लाजपतराय सम्मान आदि शामिल हैं।