उत्तर प्रदेशलखनऊ

विद्युत नियामक आयोग उपभोक्ता हित में जल्द लाएगा पारदर्शी कानून

  • वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से की गयी सुनवाई, सभी पक्षों ने दी दलील

लखनऊ। केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये कन्ज्यूमर राइट कानून 2020 के तहत गठित होने वाले विद्युत व्यथा निवारण फोरमों के लिये आज विद्युत नियामक आयोग में विद्युत व्यथा निवारण फोरम रेग्यूलेशन 2022 के प्रस्ताव पर नियामक आयोग चेयरमैन आर पी सिंह एवं सदस्यगण कौशल किशोर शर्मा एवं विनोद कुमार श्रीवास्तव की उपस्थित में वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से आम जनता की सार्वजनिक सुनवाई हुई। इसमें बिजली कम्पनियों के प्रबन्ध निदेशकों सहित उपभोक्ता प्रतिनिधियों व अनेकों वरिष्ठ वकीलों ने भी भाग लिया। नियामक आयोग ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद उपभोक्ता हित में आयोग पारदर्शी कानून जल्द बनाएगा।

नये कानून में यह व्यवस्था बनाना है कि विद्युत व्यथा निवारण फोरम का गठन उप खंडाधिकारी अधिशाषी अभियंता, अधीक्षण अभियंता मुख्य अभियंता प्रबंध निदेशक स्तर तक होना है। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि इस कानून में जरुरत इस बात की है कि जो विद्युत उपभोक्ता बिजली चोरी में गलत तरीके से फंसा दिए जाते हैं। उपभोक्ता परिषद् ने कहा कि जब केस बढ़ेंगे तो कम्पनी वाइज लोक पाल का गठन भी किया जाना चाहिए। विद्युत अधिनियम 2003 में प्राविधानित बिजली चोरी कानून के विपरीत कोई भी मनमानी व्यवस्था किसी उपभोक्ता को बिजली चोरी नहीं कह सकती।

उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये कानून पर सवाल उठाते हुए कहा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 42 (5) के तहत विद्युत व्यवस्था निवारण फोरम के रेग्यूलेशन सहित गठन का अधिकार राज्य के नियामक आयोगों को है, लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा अपनी पावर का गलत इस्तेमाल करके जो कन्ज्यूमर राइट रूल 2020 के तहत विद्युत व्यथा निवारण फोरम के गठन को प्राविधानित किया गया है। वह देश के उपभोक्ताओं के लिये काला कानून है।

विद्युत नियामक आयोग को अब यह देखना है कि वह इस कानून में कैसे पारदर्शिता स्थापित कर पायेगा। उपभोक्ता प्रतिनिधि भले ही फोरमों में शामिल रहेंगे लेकिन फोरम का अध्यक्ष जो बिजली का अभियन्ता होगा वह अपनी ही शिकायत को अपने खिलाफ क्यों निर्णय करेगा ? उपभोक्ता परिषद ने आगे सवाल उठाते हुए कहा कि जिस प्रकार से प्रस्तावित रेग्यूलेशन में उपभोक्ता प्रतिनिधि के लिये यह अनिवार्य किया है कि वही प्रतिनिधि फोरम में शामिल हो सकता है, जिसके ऊपर बकाया न हो ऐसे में यह भी व्यवस्था होनी चाहिये कि फोरम में बिजली कम्पनियों को कोई ऐसा अभियन्ता नहीं शामिल होगा। उसके खिलाफ विभाग द्वारा कोई एडवर्स इण्ट्री व मेजर दण्ड प्रदान किया गया हो।

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button