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यूपी चुनाव हारने के बाद मायावती का लोकसभा पर फोकस, भतीजे आकाश आनंद को बनाया राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ रविवार को बैठक की. इसमें प्रदेश के सभी पदाधिकारी शामिल रहे. बैठक में चुनाव में हार पर मंथन हुआ. पार्टी की मुस्लिम भाईचारा कमेटी को भंग कर दिया. इस दौरान कुछ पार्टी के प्रवक्ताओं को हटा दिया है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भतीजे आकाश आनंद राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर के साथ यूपी की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीएसपी के जनाधार को फिर से वापस लाने में जुटेंगे.

वहीं, मायावती ने बैठक से पहले अपने सभी चारों प्रवक्ताओं को उनके पद से हटा दिया था. इसके साथ ही मीटिंग में पहुंचे शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बीएसपी के प्रत्याशी होंगे. बता दें, यह सीट नेता विरोधी दल अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई है.

बनाए गए तीन ना प्रभारी

बैठक में तीन नए प्रभारी बनाए हैं, जो सीधे मायावती को रिपोर्ट करेंगे. यह जिम्मेदारी मुनकाद अली, राजकुमार गौतम और डॉ. विजय प्रताप को दी गई है. इस मीटिंग में पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा, विधायक उमा शंकर सिंह भी मौजूद रहे. मायावती ने हार के कारणों पर मंथन किया और आगे के लिए नए सिरे से रणनीति बनाने के निर्देश पार्टी पदाधिकारियों को दिए.

‘मेरा दलित वोट न तो भटका है और न ही गुमराह हुआ’

बैठक में मायावती ने कहा कि यूपी में एसपी नहीं, बीएसपी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो बीजेपी को सत्ता में वापस आने से रोक सकती है. मेरी खुद की जाति का दलित वोट न तो भटका है और न ही गुमराह हुआ है. मेरे लोगों पर मुझे बहुत ज्यादा गर्व है और मैं उनकी तहे दिल से आभारी हूं. एसपी सरकार में खासकर अपरकास्ट समाज व अति पिछड़ा वर्ग उनके यादवों, गुंडों और माफियाओं के आतंक से भयभीत रहता है. इन सभी को हमें बीएसपी में साल 2007 की तरह फिर से कैडर के जरिए जोड़ना है. बीजेपी सरकार में मुस्लिमों के साथ अपरकास्ट समाज व अति पिछड़ा वर्ग के लोगों का हर स्तर पर काफी शोषण और उत्पीड़न हुआ है. बीजेपी ने इन वर्ग के लोगों को रोजगार देने के बजाय इनको मुफ्त राशन देकर इन्हें लाचार और गुलाम बना दिया है.

विस चुनाव में सिर्फ एक सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी

बता दें, यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बीएसपी प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी है. चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बीएसपी के वोटबैंक का एक बड़ा हिस्सा अन्य पार्टियों में शिफ्ट हो चुका है. चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत भी 13% पर आ गया है. मालूम हो कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने एसपी के साथ गठबंधन कर 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

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