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सत्ता अब बपौती नहीं चुनौती और संघर्ष है : सुरेश खन्ना

  • सपा, बसपा और कांग्रेस में से कोई भी इस कसौटी पर खरा नहीं उतरता
  • सबको संघर्ष से नहीं विरासत में मिली है सत्ता

लखनऊ। समय बदल चुका है। जनता बेहद समझदार हो चुकी है। लिहाजा अब सत्ता को विरासत और बपौती समझने वालों के दिन लद गए। सत्ता अब चुनौती है। संघर्ष है। जो जनता के सुख-दुख में लगातार ‘ग्राउंड जीरो’ पर रहकर इस चुनौती को स्वीकार करेगा। जनता के हक-और-हुकूक के लिए संघर्ष करेगा, जनता अब उसे ही सत्ता से नवाजेगी।

यह बातें भाजपा के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने शनिवार को जारी एक बयान में कही। उन्होंने कहा कि प्रमुख विपक्षी दलों, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस में से कोई भी इस कसौटी पर खरा नहीं उतरता। सबने सत्ता को बपौती समझ रखा है। इसके लिए इनका कोई सघर्ष नहीं है। रही जनता के सुख-दुख में खड़े होने की बात तो वैश्विक महामारी कोरोना और बाढ़ के संकट के दौरान सबने देखा है कि पीड़ितों के बीच में कौन खुद की परवाह किए बिना पीड़ितों के बीच ‘ग्राउंड जीरो’ पर था।

खन्ना ने कहा रही खुरचन दलों की बात तो वह हरदम की तरह इस चुनाव में भी सिर्फ वोटकटवा की भूमिका में होंगे। वैसे भी इनका खुद का कोई वजूद नहीं है। ये बोलते ही इसलिए हैं कि लोगों का ध्यान इनकी ओर आकर्षित हो। यह आकर्षण पानी के बुलबुले की तरह क्षणभंगुर होता है। ऐसे लोगों को जनता नोटिस ही नहीं लेती। ये राजनीति के जोकर हैं। इनसे हर किसी का मनोरंजन होता है। इस चुनाव में इन सबका वजूद खत्म होना तय है।

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