जेल से रिहा हुईं अधिवक्ता-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, NIA कोर्ट ने इन शर्तों पर दी जमानत
भीमा-कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon Case) में पिछले तीन साल से जेल में बंद वकील और कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) को गुरुवार को भायखला जेल (Byculla Jail) से रिहा कर दिया गया है. भारद्वाज को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में बंबई हाईकोर्ट से तकनीकी खामी के आधार पर डिफॉल्ट (स्वत:) जमानत मिली है. स्पेशल एनआईए कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि सुधा भारद्वाज को 50 हजार रुपए के मुचलके पर जेल से रिहा किया जाएगा.
इतना ही नहीं, कोर्ट ने उनपर सख्त जमानत शर्तें भी लगाई हैं. जिनमें बिना इजाजत के मुंबई से बाहर न जाना और पासपोर्ट जमा कराना शामिल है. इसके अलावा, स्पेशल कोर्ट ने भारद्वाज को उस तरह की किसी भी गतिविधि में शामिल न होने की सख्त हिदायत भी दी है, जिसके आधार पर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) और गैर-कानूनी गतिविधि निवारण कानून (UAPA) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
#WATCH | Advocate-activist Sudha Bharadwaj, an accused in Bhima Koregaon case, released from Byculla jail in Mumbai pic.twitter.com/IDyq3ItsUr
— ANI (@ANI) December 9, 2021
जमानत की शर्तों के कारण हुईं रिहाई मे देरी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुधा को जमानत दी थी. हालांकि अभी उनकी रिहाई नहीं हो पाई थी, क्योंकि उनकी जमानत की शर्तें तय नहीं हुई थीं. हाईकोर्ट ने जमानत की शर्तें तय करने के लिए आठ दिसंबर को सुधा भारद्वाज को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की स्पेशल कोर्ट (NIA Special Court) में पेश करने का निर्देश दिया था. इस दौरान जांच एजेंसी ने सुधा भारद्वाज की जमानत के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने भारद्वाज को जमानत पर रिहा किए जाने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फेसले को चुनौती देने वाली एनआईए की अपील मंगलवार को खारिज कर दी थी. हाई कोर्ट ने एक दिसंबर को भारद्वाज को तकनीकी खामी के आधार पर जमानत प्रदान कर दी थी और विशेष एनआईए अदालत को उनकी जमानत की शर्तों और रिहाई की तारीख पर फैसला लेने का निर्देश दिया था. इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता को बुधवार को विशेष न्यायाधीश डीई कोठलिकर के समक्ष पेश किया गया. सुनवाई के दौरान भारद्वाज के वकील युग चौधरी ने कम जमानत राशि पर जोर दिया और कहा कि उनकी मुवक्किल फरार नहीं होंगी.
सुधा भारद्वाज को 2018 में किया गया था गिरफ्तार
चौधरी ने अदालत से अपील की कि उनकी मुवक्किल छत्तीसगढ़ में वकील हैं, इसलिए उन्हें मुंबई से वहां जाने की अनुमति दी जाए, लेकिन विशेष अदालत ने कहा कि अभियुक्त उनकी अनुमति के बिना शहर नहीं छोड़ सकती हैं. वह इस अदालत के अधिकार क्षेत्र में ही रहेंगी. गौरतलब है कि भारद्वाज को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के प्रावधानों के तहत अगस्त 2018 में एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार किया गया था.
भारद्वाज मामले में उन 16 कार्यकर्ताओं में पहली आरोपी हैं, जिन्हें तकनीकी खामी के आधार पर जमानत दी गई है. कवि और कार्यकर्ता वरवर राव फिलहाल चिकित्सीय आधार पर मिली जमानत पर हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में आठ अन्य सहआरोपियों- सुधीर धवले, वरवर राव, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा द्वारा दायर डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका खारिज कर दी थीं.