आगरा के पायलट पृथ्वी सिंह चौहान ने भी CDS बिपिन रावत के साथ भरी थी अपनी आखिरी उड़ान, हादसे में हुई मौत
ना तो परिवार, ना रिश्तेदार और ना ही पड़ोसियों को इस बात का यकीन हो रहा है कि विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान (Wing Commander Prithvi Singh Chauhan) अब इस दुनिया में नहीं रहे. हर किसी की जुबान पर उनके ही चर्चे हैं. आस पड़ोस के लोग उनके घर में एकत्रितहैं और उनके बुजुर्ग माता-पिता को सांत्वना दे रहे हैं. दरअसल कल विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान का तमिलनाडु के कुन्नर में हेलीकॉप्टर हादसे (Chopper Crash) में निधन हो गया. इस हादसे में सीडीएस विपिन रावत (CDS Bipin Rawat) और उनकी पत्नी समेत 11 लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद पूरा देश गम में डूबा है. वहीं आगरा के लाल पृथ्वी के निधन से ताजनगरी के लोग भी गमगीन हैं.
विंग कमांडर पृथ्वी सिंह मिग-17 हेलीकॉप्टर से आसमान में कलाबाजी दिखाया करते थे और कई बार संकट भी आए. लेकिन छू कर निकल गए. क्योंकि साहस और अनुभव के कारण उन्होंने कई संकटों से खुद और अपने साथियों को निकाला. लेकिन बुधवार को कुन्नूर (तमिलनाडु) के लिए उड़ान उनकी जिंदगी की आखिरी उड़ान साबित हुई और इसहादसे में सीडीएस बिपिन रावत के साथ आगरा के लाल ने भी अंतिम सांस ली. पृथ्वी की आसमान में ये उड़ान आखिरी साबित हुई. विंग कमांडर 42 वर्षीय पृथ्वी सिंह चौहान का परिवार आगरा के दयालबाग के सरन नगर में रहता है. उनके परिवार का बीटा ब्रेड के नाम पर तीन पीढ़ी का पुश्तैनी कारोबार है. वहीं परिजनों को बुधवार दोपहर एयरफोर्स मुख्यालय से फोन पर हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जानकारी दी.
टिंकू का इंतजार कर रहे थे परिजन
जब माता-पिता को उनके हादसे की जानकारी हुई तो 75 वर्षीय पिता सुरेंद्र सिंह चौहान, मां सुशीला देवी परिवार के सभी सदस्यों के साथ विभिन्न माध्यमों से सच्चाई की पड़ता करने लगे और आस पड़ोस के लोग भी उनके घर पर एकत्रित हो गए. वहीं देर शाम उनके निधन की पुष्टि होने पर परिजनों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा. टिंकू को प्यार से बुलाने वाली चार बहनों के इकलौते भाई पृथ्वी सिंह ने अपनी शुरुआती शिक्षा ग्वालियर में की और फिर रीवा सैनिक स्कूल में पढ़ाई करने के बाद एनडीए के जरिए एयरफोर्स पहुंचे.
अनुभवों से मिली मिली थी कमांड
विंग कमांडर पृथ्वी सिंह का आधुनिक तकनीक से लैस एमआई 17वी5 हेलीकॉप्टर पर पूरी तरह से कमांड था और वह कई वर्षों के अनुभव के साथ 109 हेलीकॉप्टर इकाई के कमांडिंग ऑफिसर थे. लिहाजा उनके अनुभवों को देखते हुए उन्हें सीडीएस सहित वरिष्ठ अधिकारियों को ले जाने का मौका मिला.