जातिगत व आर्थिक आधार पर शोषण के खिलाफ थे अंबेडकर : कौशल किशोर

लखनऊ। केन्द्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर ने कहा कि भारत रत्न बाबा साहब डा. भीमराव आम्बेडकर जातिगत व आर्थिक आधार पर शोषण के खिलाफ थे। बाबा साहेब की इच्छा थी कि देश में जातिविहीन समाज की स्थापना हो, जिस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि जाति विहीन समाज के लिए हमें जातिसूचक शब्द का प्रयोग प्रतिबंधित करना होगा, जाति के नाम पर संगठन नहीं बनाने होंगे और विवाह आदि के सम्बंधो में भी जाति के महत्व से विरत रहना होगा। वह अम्बेडकर जयंती के अवसर पर केजीएमयू में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
केन्द्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि बाबा साहेब आम्बेडकर ने संविधान प्रस्तुत करते समय कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा हो, लेकिन यदि लागू करनेवाले सही नहीं हैं तो बुरा साबित होगा और यदि संविधान कितना भी खराब हो, लेकिन लागू करनेवाले अच्छे हैं तो संविधान अच्छा साबित होगा। बाबा साहेब की इच्छा थी कि कोई व्यक्ति किसी का जातिगत अथवा आर्थिक आधार पर शोषण न करे। वर्तमान सरकार लोगों को आवास, गैस, उपचार जैसी आवश्यक सुविधाएं दे रही है।
केजीएमयू के कुलपति बिपिन पुरी ने कहा कि बाबा साहेब का विचार था कि जो व्यक्ति अपना इतिहास नहीं जानता, वह अपना इतिहास नहीं बना सकता। कार्यक्रम में डा. एस.एन. कुरील द्वारा बाबा साहेब के महिलाओं, श्रमिक, अर्थ व्यवस्था, सामाजिक संघर्ष आदि के क्षेत्र में किए गए महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख किया गया।
डा. के.के. सिंह ने बताया कि बाबा साहेब प्रतिभा के धनी थे, जिन्होंने अपनी आठ वर्षों की पढाई को सबा दो वर्षों में ही पूरा कर लिया था। अध्ययन ही उनका जीवन था, जिनकी व्यक्तिगत लाइब्रेरी में लगभग पचास हजार पुस्तकें थी। इस अवसर पर शिव पल्टन द्वारा लिखित मेरा जीवन मेरा संघर्ष नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में डा. नीरा कोहली, डा. एस.एन. शंखवार, डा. सुरेश बाबू, डा. एस.पी. जैसवार, डा, विजय कुमार, डा. आर.ए.एस. कुशवाहा, डा. आर.के. गर्ग, डा. क्षितिज श्रीवास्तव आदि अपने विचार व्यक्त किए।