सामाजिक सुरक्षा सेक्टर के आठ विभागों की कार्ययोजना पर मुख्यमंत्री के निर्देश
- मुख्यमंत्री ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्य योजना तैयार करने पर दिया जोर
लखनऊ। मंत्रिमंडल के समक्ष सामाजिक सुरक्षा सेक्टर के आठ विभागों की कार्ययोजना प्रस्तुतिकरण पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण और बच्चों के सुपोषण के लिए समर्पित भाव से काम कर रही है। हमारा प्रयास हो कि महिलाओं व बच्चों से संबंधित विषयों पर प्रभावी नीतियों का निर्माण एवं कार्यक्रमों के बेहतर क्रियान्वयन के माध्यम से महिलाओं तथा बच्चों को उनके विकास के सर्वागीण अवसर प्रदान करें। प्रत्येक मंडल मुख्यालय पर कम से कम एक महिला संरक्षण गृह और महिला शरणालय की स्थापना कराई जाए। इस कार्य को शीर्ष प्राथमिकता के साथ करें। मिशन शक्ति के अगले चरण को ग्राम पंचायत स्तर तक ले जाने के प्रयास हों।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जन विकास योजना के तहत जारी परियोजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए भौतिक परीक्षण करते रहें। समयबद्धता और गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखें। श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिकों के डेटा का सत्यापन कराये जाने की जरूरत है। विगत पांच वर्ष में राज्य सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि मे तीन गुने की वृद्धि की है। इससे निराश्रित महिलाओं, वृद्ध जनों और दिव्यांगजनों को बड़ा वित्तीय संबल मिला है। कोविड काल में निराश्रित हुए बच्चों की शिक्षा-सुरक्षा और व्यवस्थित जीवन यापन के लिए लागू मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अच्छे परिणाम मिले हैं। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत 9वीं या उससे उच्च कक्षाओं के समस्त पात्र बच्चों को लैपटॉप प्रदान किया जाए।
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (कोविड एवं सामान्य) योजना के सहज क्रियान्वयन एवं सतत मॉनिटरिंग के लिए एमआईएस पोर्टल तैयार कराया जाना चाहिए। इसी प्रकार, बाल देखरेख संस्थाओं किशोर न्याय बोर्डों एवं बाल कल्याण समितियों पोर्टल हेतु कॉ एमआईएस शुभारम्भ होना चाहिए। यह कार्य आगामी 100 दिन में करने का लक्ष्य रखें। सामाजिक सुरक्षा पेंशन, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना और बाल सेवा योजना की तय राशि त्रैमासिक किस्तों में समय से पात्र लोगों के बैंक खाते में भेज दी जाए। जो लोग पात्र हैं लेकिन योजना से वंचित हैं, ऐसे लोगों को जोड़ने के लिए विकास खंड स्तर पर स्वावलम्बन कैंप आयोजित किए जाएं।
वन स्टॉप सेन्टरों को महिलाओं से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के हब के रूप में विकास किया जाना चाहिए। ताकि सुरक्षा व सशक्तिकरण हेतु आर्थिक सहायता, रोजगार, स्वरोजगार , कौशल प्रशिक्षण आदि से सम्बन्धित समस्त योजनाओं की जानकारी एक ही छत के नीचे मिल सकें। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के सरलीकरण व अधिक प्रभावी संचालन हेतु गाइडलाइन्स में आवश्यक संशोधन किया जाए। प्रदेश के राजकीय व स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित समस्त महिला एवं बाल देखरेख संस्थाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। अभ्युदय योजना के तहत मंडल मुख्यालयों पर संचालित कक्षाओं को 75 जिलों में विस्तार दिया जाए।
पिछले कार्यकाल में एक अभिनव प्रयास करते हुए हमने किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन किया। अगले 100 दिनों के भीतर निराश्रित उभयलिंगी व्यक्तियों की पहचान कर उनका परिचय पत्र बनाया जाए। ऐसे लोगों के लिए वृद्धाश्रम की सेवा शुरू की जाए। संत रविदास आश्रम पद्धति विद्यालयों का निर्माण कार्य शीघ्रता से पूर्ण कराएं। अब अगले 100 दिनों में मदरसा शिक्षा मोबाइल एप विकसित कर लांच करने की तैयारी की जाए। मदरसा शिक्षा के पाठ्यक्रमों में भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महानायकों, भारतीयता के प्रतीक महापुरुषों की जीवन गाथा को समाहित किया जाए।
आए दिन पेट्रोल पंपों पर घटतौली की शिकायत मिलती रहती है। तकनीक के दुरुपयोग की जानकारी भी देखने को मिलती है। ऐसे में पेट्रोल पंपों की कार्यप्रणाली की जांच किए जाने की जरूरत है। इस कार्रवाई को प्रदेशव्यापी अभियान के रूप में संचालित किया जाए। बेरोजगार युवाओं के लिए कंप्यूटर प्रशिक्षण योजना के तहत सार्थक प्रयास किए जाएं, ताकि अधिक से अधिक संख्या में पिछड़े वर्ग के युवाओं को रोजगार मिल सके।
पिछड़े वर्ग की बालिकाओं के विवाह के लिए शादी अनुदान योजना का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए। इसके तहत अगले छह माह में कम से कम 20 हजार लाभार्थियों को लाभान्वित किया जाए। ईज ऑफ लिविंग के तहत श्रम विभाग द्वारा ऑनलाइन दी जाने वाली 35 सेवाओं को सात सेवाओं में समाहित किया जाए। पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बच्चों को स्नातक स्तर पर मुफ्त शिक्षा देने के लिए कार्ययोजना तैयार करें। निर्माण श्रमिकों के बच्चों और निराश्रित बच्चों के लिए बन रहे 18 मंडलों अटल आवासीय विद्यालयों का संचालन शुरू कराया जाए।
बीओसीडब्ल्यू बोर्ड ने गत वर्षों में 22 हजार 963 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया है। भविष्य में सामूहिक विवाह के लिए एक लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के प्रयास शुरू किए जाएं। अगले सौ दिनों में ग्राम पंचायतों को खाद्यान्न क्रय योजना में संयोजित किया जाए और डोर स्टेप डिलीवरी की व्यवस्था की जाए। उचित दर दुकानों को कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में अधिकृत करने की दिशा में प्रयास शुरू किए जाएं। अगले पांच वर्षों में नगर विकास और ग्राम्य विकास विभाग के सहयोग से स्थायी उचित दर दुकानों का निर्माण कराने और उचित दर दुकानों को घनी बस्तियों से बाहर निकालकर परिवहन योग्य स्थान पर स्थानान्तरित कराने के प्रयास शुरू किए जाएं। प्रत्येक जनपद में बचपन डे केयर सेंटर की स्थापना की जानी चाहिए। इस संबंध में आवश्यक प्रबंध किए जाएं। बचपन डे केयर सेंटरों में व्यवस्था अच्छी रहे।