शिव पार्वती विवाह में जमकर पुष्प वर्षा, नौ दिवसीय श्री राम कथा
- ‘भोले की बारात चली सज धज चली’ गीत पर झूमे श्रद्धालु, भावविभोर होकर नाच उठे
वाराणसी। रोहनिया में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा अमृत वर्षा के तीसरे दिन मंगलवार को शिव-पार्वती विवाह देख श्रद्धालु आह्लादित हो गये। कथावाचक अवध के सुखनंदन महाराज ने जीवन में राम नाम स्मरण का महत्व समझाते हुए शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया। भजनों की प्रस्तुति ‘शिव को ब्याहने चले’ ‘भोले की बारात चली सज धज चली’ पर श्रद्धालु झूम उठे और भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे। कथा में शिव पार्वती विवाह की प्रस्तुति पर जमकर पुष्प वर्षा हुईं।
इस दौरान कथावाचक ने कहा कि वर्तमान दौर में ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जो दुखी न हो। लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता है कि हम भगवान का स्मरण करना ही छोड़ दें। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे। राम नाम का स्मरण करने मात्र से हर एक विषम परिस्थिति को पार किया जा सकता है। लेकिन, अमूमन सुख हो या दुख हम भगवान को भूल जाते हैं। दुखों के लिए उन्हें दोष देना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि देवर्षि नारद मुनि भगवान शिव एवं पार्वती विवाह का रिश्ता लेकर आए थे। उनकी माता इसके खिलाफ थी । उनका मानना था कि शिव का कोई ठोर ठिकाना नहीं है। ऐसे पति के साथ पार्वती का रिश्ता निभना संभव नही है। उन्होंने इसका विरोध भी किया। लेकिन माता पार्वती का कहना था कि वे भगवान शिव को पति के रुप में स्वीकार कर चुकी है तथा उनके साथ ही जीवन जीना चाहेंगी। इसके बाद दोनों का विवाह हो सका। कथा में दीनदयाल जैन, दिलीप सेठ, गमलु पंडित,त्रिलोकी सेठ, अरविंद मौर्या उर्फ गांधी, चरण दास गुप्ता, अरुण केसरी, टीपू कसौधन आदि ने कथा के दौरान व्यवस्था बनाने में सहयोग दिया।