उत्तर प्रदेशलखनऊ

भारत में पहली बार 87 वर्षीय मरीज ने पुणे के साईश्री अस्पताल में सबसे उन्नत और पूरी तरह से स्वचालित रोबोट के साथ बाईलेटरल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी करवाई

लखनऊ: साईश्री अस्पताल में डॉ नीरज अदकर और उनकी टीम ने सीयूवीआईएस-फुली ऑटोमेटेड और एक्टिव रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सिस्टम का उपयोग करके बाईलेटरल (दोनों घुटनों) रोबोटिक टीकेआर किया। सर्जरी के 24 घंटे से भी कम समय में, रोगी सहारा लेकर चलने में सक्षम हो गया और तीन दिनों से भी कम समय में उन्हें छुट्टी दे दी गई।

कोथरुड पुणे के 87 वर्षीय श्री सुधाकर पंचवाघ ने औंध में साईश्री अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ नीरज अदकर से परामर्श लिया। उन्हें पिछले 15 सालों से दोनों घुटनों में दर्द के साथ ही पिछले दस सालों से दोनों घुटनों में विकृति होने की समस्या थीं।

श्री सुधाकर पंचवाघ ने बताया कि चलने पर और सीढियाँ चढ़ते हुए उन्हें ज्यादा दर्द होता है, जिससे उन्हें अपने रोजमर्रा के कामों को करने में परेशानी होती थी। डॉ नीरज अदकर ने प्राथमिक जांच और एक्स-रे (बाईं ओर अधिक) के बाद दोनों घुटनों में वारस डेफोर्मिटी के रोगी के वरस विकृति (दोनों पैरों में ओ-फार्मेशन) की पुष्टि की।

साईश्री अस्पताल में डॉ नीरज अदकर और उनकी टीम ने सीयूवीआईएस-फुली ऑटोमेटेड और एक्टिव रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सिस्टम का उपयोग करके बाईलेटरल (दोनों घुटनों) रोबोटिक टीकेआर किया।

साईश्री अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ नीरज अदकर ने कहा, वे बाईलेटरल रोबोटिक टीकेआर के लिए चिकित्सकीय रूप से पूरी तरह फिट थे, इसलिए डॉक्टरों की एक टीम ने इस सर्जरी को करने का फैसला किया। हमारी सलाह है कि जिन मरीजों को घुटने में दिक्कत और दर्द के कारण इस तरह की सर्जरी की आवश्यकता है, उन्हें ज्यादा देर ना करते हुए सही उम्र सर्जरी करा लेनी चाहिए क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ ही रिकवरी का समय भी बढ़ने लगता है।

सीयूवीआईएस रोबोटिक सिस्टम पेशेंट-स्पेसिफिक 3डी बोन मॉडल बनाने के लिए सीटी-स्कैन इमेज का उपयोग करता है और हर रोगी के अनुरूप जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी का वर्चुअल सिमुलेशन करता है।

सब-मिलीमीटर डायमेंशनल एक्यूरेसी के साथ, यह श्री सुधाकर पंचवाघ जैसे जॉइंट रिप्लेसमेंट रोगियों के लिए सर्जरी के बाद के अच्छे परिणामों के साथ तेज़ी से रिकवर होने में मदद करता है।

सीयूवीआईएस जॉइंट रोबोटिक टेक्निक, कटिंग एक्यूरेसी और इम्प्लांट को सटीकता से सही जगह पर लगाने में मदद करने के साथ ही टिश्यू ट्रामा और रक्त की हानि को कम करने, तेज़ रिकवरी, अस्पताल से जल्दी छुट्टी करवाने में मददगार साबित होती है।

सर्जरी के 24 घंटे से भी कम समय में, रोगी सहारा लेकर चलने में सक्षम हो गया और तीन दिनों से भी कम समय में उन्हें छुट्टी दे दी गई।

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button