तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों के दिन पूरे, जिन्नावादी और तालिबानी सोच यूपी में नहीं चलेगी: डिप्टी सीएम
वाराणसी में डिप्टी CM डॉ. दिनेश शर्मा ने शुक्रवार को विपक्षी नेताओं पर जमकर निशाना साधा। वह यहां भाजपा की बैठक में हिस्सा लेने आए हैं। सलमान खुर्शीद और राशिद अल्वी को लेकर बोले कि कुछ मौसमी रामभक्त आए थे। कुछ समय रामनामी दुपट्टा पहन कर ‘जय हनुमान ज्ञान गुन सागर’ का पाठ करके घंटा बजाया। अब वह अपने पुराने ढर्रे पर फिर लौट गए हैं। उनकी जो मानसिकता है। जो जिन्नावादी और तालिबानी सोच है। वह यूपी की राजनीति में अब नहीं चलेगी। विचारधारा का नाम लेकर तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों के दिन अब पूरे हो गए हैं। जो भी भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवादी सोच के खिलाफ काम करेगा, उसके लिए यहां कोई जगह नहीं है।
राम को काल्पनिक बताने वाले रामभक्त नहीं
डॉ. शर्मा ने कहा कि जो राम और राम सेतु को काल्पनिक बता रहे थे, वे रामभक्त नहीं हो सकते। हो सकता है कि ऐसे लोग अपनी बातों से अपनों की ओर ही इशारा कर रहे हों। उन्होंने कहा कि इस प्रदेश में कोई हैदराबाद से आकर सांप्रदायिक सोच ला रहा है। तो कोई जिन्नावादी सोच के साथ वर्गवादी राजनीति करना चाहता है। अब यह सब यहां नहीं चल पाएगा।
चलती-फिरती संस्था हैं अमित शाह
आज की भाजपा की बैठक को लेकर कहा कि यह एक कैडर बेस पार्टी है। भाजपा में संगठन का जो शीर्ष नेतृत्व होता है वह निचले स्तर तक के कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन देता है। हमारे नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह एक चलती-फिरती संस्था हैं। उनका जो संगठनात्मक कौशल है, उसके बारे में सिर्फ देश में ही नहीं, आने वाले समय में दुनिया के कई देशों में अध्ययन होगा। आगामी चुनाव को देखते हुए यूपी के भाजपा के बूथ स्तर के कैडर बेस्ड कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि इस बार पहले से भी बेहतर परिणाम रहेगा और सारे रिकॉर्ड टूटेंगे।
बंगाल ही नहीं, महाराष्ट्र और हैदराबाद के नेता भी आजमा रहे किस्मत
यूपी में हो रहे राजनीतिक गठबंधनों को लेकर भी डॉ. शर्मा ने तंज कसा। उन्होंने कहा कि इनका और भी बुरा हश्र होने वाला है। 2017 और 2019 के चुनाव के साथ ही उसके बाद के उपचुनाव के परिणाम इस बात के गवाह हैं। यूपी में टीएमसी के चुनाव लड़ने पर उन्होंने कहा कि बंगाल जैसी राजनीति यूपी की जनता स्वीकार नहीं करेगी। यूपी में जातिवाद, संप्रदायवाद और भाई-भतीजावाद की कोई जगह नहीं है। अब यहां सिर्फ विकासवाद है। जिसके आधार पर भाजपा चल रही है। हालांकि यहां बंगाल ही नहीं, महाराष्ट्र की भी एक पार्टी और हैदराबाद के एक नेता भी किस्मत आजमा रहे हैं।