उत्तर प्रदेशलखनऊ

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने लिखा मुख्य सचिव को पत्र

  • वेतन समिति की संस्तुतियों पर निर्णय कराये जाने की मांग

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने रविवार को उत्तर प्रदेश मुख्य सचिव की आधिकारिक ईमेल पर एक पत्र भेजकर वेतन समिति 2016 की संस्तुतियों पर तत्काल निर्णय कराए जाने की मांग की है। तिवारी ने बताया कि पत्र में लिखा है की यह बेहद ही दुखद स्थिति है कि मुख्यमंत्री ने तीन माह पूर्व मुख्य सचिव समिति का गठन करते हुए राज्य कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों पर वेतन समिति 2016 की संस्तुतियों के अनुरूप निर्णय कराए जाने के निर्देश जारी किए थे। समिति का कार्य विभागवार उस पर विचार विमर्श कर मंत्रिपरिषद के निर्णय के लिए पेश करना था। लकिन समिति ने अभी तक कोई बैठक ही नहीं की है।

आगे कहा कि पूर्ववर्ती मुख्य सचिव समिति की कोई बैठक नहीं कर सके। वर्तमान मुख्य सचिव से भी राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के माध्यम से  बैठक करने की लगातार गुजारिश की जाती रही  है लेकिन अभी तक कोई भी बैठक नहीं हो पाई है। इस संबंध में संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने अपर मुख्य सचिव वित्त व मुख्य सचिव समिति के पदेन सचिव,विशेष सचिव वित्त एसपी मिश्रा को भी कई पत्र लिखे हैं लेकिन अभी तक बैठक नहीं हो सकी है। जेएन तिवारी ने अवगत कराया है कि चकबंदी अधिकारी संवर्ग, अनुदेशक, आशुलिपक, ईसीजी टेक्निशियन, प्रवर वर्ग सहायक, फाइलेरिया निरीक्षक, सहित कई संवर्गो की वेतन विसंगतियों पर वेतन समिति अपनी संस्तुति दे चुकी है।

यदि मुख्य सचिव समिति इनको आगे बढ़ाए तो इन वर्गों की वेतन विसंगतियों पर राज्य मंत्रिपरिषद मुहर लगा सकती है। चुनाव के बाद नई सरकार आने  पर पता नहीं यह निर्णय लागू हो पाएगा या नहीं हो पाएगा। लेकिन कर्मचारियों का वित्तीय नुकसान जरूर हो जाएगा।बताया कि वेतन समिति की संस्तुतियां दो साल से शासन में लंबित पड़ी है। इन पर निर्णय कराने में चुनाव आचार संहिता भी आड़े नहीं आ रही है इन संस्तुतियों पर मुख्य सचिव समिति को निर्णय कर देना चाहिए था।  छोटे-छोटे व होने योग्य निर्णयों पर अनावश्यक विलंब से सरकार की छवि खराब होती है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इस प्रकरण में मुख्य सचिव से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

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