उत्तर प्रदेशलखनऊ

कहानी पूरी फिल्मी है! जानिए अमेठी में पुताई करने वाला मजदूर कैसे बना धन और बल का ‘राजा’ गायत्री

उत्तर प्रदेश की पूर्व समाजवादी पार्टी  सरकार में गायत्री प्रसाद प्रजापति सबसे चर्चित मंत्रियों में शुमार था. गायत्री प्रजापति को एसपी सरकार में खनन जैसा मलाईदार विभाग दिया गया था और गायत्री ने अपने कार्यकाल में जो चाहा वो किया. राज्य में बड़े बड़े खनन घोटाले (Mining Scam)हुए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जांच हुई. लेकिन गायत्री को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा. गायत्री की पकड़ का समाजवादी पार्टी में इसी बात से लगाया जा सकती है कि उसकी पहुंचा सीधे पंचम तल (मुख्यमंत्री कार्यालय) तक थी और उसे समाजवादी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह का सबसे करीबी माना जाता था. लेकिन एक नाबालिग के साथ गैंगरेप में अब गायत्री को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और इसके बाद गायत्री की पूरी जिंदगी जेल में सलाखों के पीछे कटेगी.

जिस तरह से फिल्मों में कोई नायक एक मजदूर रातों रात अरबपति बन जाता है. कुछ इसी तरह की कहानी गायत्री प्रसाद प्रजापति की भी है. कभी यूपी के अमेठी जिले के एक छोटे से गांव परसावा में मजदूर के तौर पर काम करने वाला गायत्री, कुछ ही सालों में करोड़पति बन गया और सत्ता में उसका ऐसा दखल था कि कि कलेक्टर और बड़े अफसर उसे सलाम करने के लिए लाइन में खड़े होते थे. असल में गायत्री प्रसाद प्रजापति ने पुश्तैनी कारोबार यानी मिट्टी के बर्तन बनाने के काम से अपने कैरियर की शुऊआत की और सत्ता के शिखर से होते हुए जेल की सलाखों तक पहुंचा.

बीपीएल कार्डधारक से बना करोड़पति

दरअसल, समाजवादी पार्टी सरकार में गायत्री प्रजापति अपने बीपीएल कार्ड को लेकर काफी चर्चा में रहा. क्योंकि शुरूआत में गायत्री प्रसाद की माली हालत अच्छी नहीं थी और उसके पास बीपीएल कार्ड था और मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनने के बाद भी वह अपने उस कार्ड का इस्तेमाल कर रहा था. जिसको लेकर एसपी सरकार की काफी बदनामी हुई. लेकिन सत्ता में रहने के कारण गायत्री का मामला तब दबा दिया गया. हालांकि गायत्री सुर्खियों में आ गया.

गैगरेप के आरोप में दोषी पाए जाने से पहले ही गायत्री पिछले चार साल से सलाखों के पीछे है. गायत्री के पास करोड़ों की संपत्ति है और लखनऊ से लेकर मुंबई तक उसके पास आलीशान कोठियां हैं. ईडी भी उसकी संपत्तियों की जांच कर रही है और ईडी को गायत्री की संपत्तियों के बारे में कई जानकारियां मिली हैं. फिलहाल राज्य में हुए खनन घोटाले की भी जांच ईडी और सीबीआई कर रही है और अभी तक राज्य में कई अफसरों पर गाज गिर चुकी है.

एसपी की टिकट पर 2012 में बना विधायक और कैबिनेट मंत्री भी

अमेठी के एक छोटे से गांव परसावा में सुखाई राम के घर में जन्मा गायत्री प्रसाद इमारतों में पुताई का किया करता था और 1985 से 1990 तक उसने एचएएल कोरवा में पेंटिंग मजदूर के तौर पर काम किया. लेकिन गायत्री को ये बात समझ में आ गई कि मजदूरी से उसका काम नहीं चलेगा तो उसने सियासी पारी की शुरुआत की और पहली बार 1993 में बाल्टी सिंबल के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा.

इसके बाद गायत्री लगातार राजनीति में सक्रिय रहा और ठेके लेने लगा. वहीं 2012 में उसे समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया और वह विधायक बना. अखिलेश सरकार में उसे मंत्री बनाया गया और खनन जैसा कमाऊ विभाग दिया गया. गांव के लोग बताते हैं कि गायत्री कभी काम की तलाश में पैदल चला करता था और किस्मत ने पलटी मारी और वह महंगी से महंगी गाड़ियों में चलने लगा. जिस अमेठी में गायत्री छोटे-छोटे बाबूओं के सामने काम के लिए गिड़गिड़ाया करता था, उसी अमेठी में कलेक्टर और पुलिस के आला अफसर गायत्री को सलाम करने के लिए कतार में लगे थे.

मुलायम के परिवार से रहा करीबी रिश्ता

बताया जाता है कि गायत्री की मुलायम परिवार में गहरी पैठ थी. गायत्री को मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता का करीबी माना जाता है और साधना के जरिए ही गायत्री के परिवार के अन्य लोगों के साथ रिश्ते बने. अखिलेश सरकार में मंत्री की शपथ लेने के बाद गायत्री मुलायम सिंह के पैरों पर बैठ गए थे. जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हुई थी और गायत्री ने खुद को मुलायम सिंह का हनुमान बताया था.

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