उत्तर प्रदेशलखनऊ

”मुहब्बत में सिर्फ लॉस है, कुछ गेन नहीं है”

  • लखनऊ के रविंद्रालय में आयोजित ‘घोंघा बसन्त सम्मेलन’ में लोग हंसते-हंसते लोटपोट
  • प्रताप फौजदार को दिया गया बेढब बनारसी रंग भारती सम्मान

लखनऊ। ‘मुहब्बत में सिर्फ लॉस है, कुछ गेन नहीं है… जैसी हास्य कविताओं से लबरेज एक बार फिर लखनऊ में ऐतिहासिक ‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’ शुरू हुआ। कोविड की वजह से पिछले सालों से यह आयोजन ठहर गया था लेकिन दर्शकों और आए कवियों ने पिछले साल की कसर निकाल दी। चारबाग स्थित रविंद्रालय में आयोजित कार्यक्रम में हंसी के खूब फौव्वारे छूटे और व्यंग्य के तीर भी चले।

सांस्कृति और सामाजिक संस्था ‘रंगभारती’ पिछले 61 सालों से इस हास्य समारोह को एक अप्रैल को ‘मूर्ख दिवस’ के अवसर पर आयोजित करती रही है। इस वर्ष कोरोना की बंदिशों के कारण आयोजन एक के बजाय 24 अप्रैल को हुआ। समारोह का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने किया। समारोह में इस बार ‘बेढब बनारसी रंगभारती सम्मान’ मुम्बई के सुविख्यात हास्य रचनाकार प्रताप फौजदार को दिया गया।

इससे पहले, समारोह का उद्घाटन ‘मूर्खिस्तान’ के प्रधानमन्त्री ने किया। यह विशिष्ट अतिथि महोदय सचमुच के गधा थे। समारोह के संयोजक श्याम कुमार ‘अरविंद केजरीवाल’ के गेटअप में मंच पर उतरे। उनका जूतों की माला पहनाकर स्वागत किया गया। ‘ढेंचू’ सम्मान भी दिया गया, जो अनर्गल बातें बोलने पर दिया जाता है। साथ ही उनका गन्धर्व-विवाह कराया गया।

कार्यक्रम की मुख्य रचनाओं पर गौर करें तो फैजाबाद से आए कवि जमुना प्रसाद उपाध्याय ने पढ़ा कि ‘धान से, गेहूं से जब गोदाम सारे भर गए.. पूछते हो, पेड़ को इन पत्तियों ने क्या दिया। जो चिरागों में जरा-सी रोशनी है, हमसे है.. देश को इन लाल-नीली बत्तियों ने क्या दिया?’ इसके बाद दमदार वाराणसी ने मोहब्बत का विश्लेषण करते हुए पढ़ा कि ‘मुहब्बत में सिर्फ लॉस है, कुछ गेन नहीं है, कैसे कहूं कि दिल में मेरे पेन नहीं है।’

कवि विकास बौखल ने प्यार का पैगाम देते हुए कहा कि ‘किसी खंजर से न तलवार से जोड़ा जाए, सारी दुनिया को चलो प्यार से जोड़ा जाए। ये किसी शख्स को दोबारा न मिलने पाए, प्यार के रोग को आधार से जोड़ा जाए। जबकि अनुराग राग ने मौसम पर तंज कसा कि ‘रुत छलिया-सी हो गई, बदल रही है रूप। जेठ अभी आया नहीं विकट हो गई धूप।’ वहीं, श्याम कुमार ने कटाक्ष और हास्य से सम्मिश्रण वाली कविता का पाठ किया कि ”मेरे प्यारे परम दुलारे, कुत्ता भाइयों! तुम सो रहे हो.. अपना भविष्य खो रहे हो। हम तुम्हें जगाने आए हैं, तुम्हारी नींद भगाने आए हैं। मेरी नसीहत मानते रहो, चैन से सोना है तो जागते रहो।”

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