उत्तर प्रदेशबदायूं

यूपी के बाहुबली नेता डीपी यादव नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, नामांकन वापस लेकर बेटे को चुनावी मैदान में उतारा

उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेताओं में शुमार पूर्व सांसद और विधायक डीपी यादव इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. उनकी जगह उनके बेटे अपने सियासी पारी शुरू करेंगे. असल में इस बार चुनाव से अपना नामांकन वापस ले लिया है और अपने बेटे को चुनावी मैदान में उतारा है. असल में अपने तीन दशक से भी ज्यादा के सियासी जीवन में डीपी यादव ने मुलायम सिंह यादव और रामगोपाल यादव जैसे कद्दावर नेताओं के सामने हथियार नहीं डाले. लेकिन पहली बार उन्होंने बेटे के सियासी पारी के लिए चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. वहीं डीपी यादव की तरह उनकी पत्नी ने भी नामांकन वापस लिया है.

असल में डीपी यादव ने 25 जनवरी को बदायूं की सहसवान विधानसभा सीट से राष्ट्रीय परिवर्तन दल के प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. इस पार्टी का गठन डीपी यादव ने ही किया था था. वहीं उन्होंने महज 6 दिन बाद अपना नामांकन वापस ले लिया है. पहले डीपी यादव के साथ उनकी पत्नी उर्मिलेश यादव और बेटे कुणाल यादव ने भी नामांकन पत्र दाखिल किया था. इसके पीछे परिवार के तर्क थे कि उनका स्वास्थ्य खराब है. लिहाजा सभी ने नामांकन किया है. लेकिन 31 जनवरी को पति-पत्नी ने अपना नाम वापस ले लिया है जबकि बेटे कुणाल को मैदान में उतारा गया है. गौरतलब है कि डीपी यादव के बेटे कुणाल का यह पहला चुनाव है और सियासत में कदम रखने से पहले वह डीपी यादव की चीनी मिल यदु शुगर में निदेशक थे.

जानिए कौन हैं डीपी यादव?

डीपी यादव को यूपी का बाहुबली नेता माना जाता है और हाल ही में हत्या के एक मामले में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बरी किया है. ये इस मामले की जांच सीबीआई कर रही थी.वहीं जानकारी के मुताबिक डीपी यादव का जन्म नोएडा के एक छोटे से गांव शरफाबाद में एक किसान के घर में हुआ था और उनके पिता का दूध का कारोबार था. वहीं डीपी यादव ने अपने करियर की शुरुआत दूध के कारोबार से की और उसके बाद वह चीनी मिल, पेपर मिल के मालिक बन गए. बताया जाता है कि डीपी यादव ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अवैध शराब के कारोबार का सिंडिकेट बनाया और उसके बाद उन्होंने सियासत में किस्मत आजमाई. डीपी यादव का होटल, रिजॉर्ट, टीवी चैनल, पावर प्रोजेक्ट, खदान और कंस्ट्रक्शन जैसे बिजनेस में दखल है और उनके कई स्कूल-कॉलेज भी हैं.

तीन बार विधायक और मंत्री भी रहें हैं डीपी यादव

वहीं डीपी यादव यूपी सरकार में मंत्री भी रहे हैं. किसी दौर में उन्हें मुलायम सिंह का करीबी माना जाता था. लेकिन बाद में मुलायम सिंह से उनकी दूरी बन गई. कहा जाता है कि जब समाजवादी पार्टी का गठन किया गया था. उस वक्त डीपी यादव ने मुलायम सिंह की मदद की थी. डीपी यादव 3 बार विधायक, मंत्री, लोकसभा, राज्यसभा सांसद रह चुके हैं.

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