बेमौसम बारिश से किसानों के साथ मंडी के व्यापारी भी हैं परेशान, सता रहा भारी नुकसान का डर
पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र के अलग-अलग क्षेत्रों में बेमौसम बारिश हुई है. इससे सबसे अधिक नुकसान फूल और फल की खेती करने वाले किसानों को हुआ है. इस बेमौसम बारिश से सिर्फ उत्पादक ही नहीं बल्कि एपीएमसी मंडियों के व्यापारी भी प्रभावित हुए हैं. बारिश की वजह से मौसमी फलों की गुणवत्ता प्रभावित हुई है. व्यापारियों का कहना है कि इस वजह से दाम बढ़ सकते हैं और अगर जल्द बिक्री नहीं हुई तो फल सड़ जाएगा.
महाराष्ट्र में हुई बेमौसम बारिश से बहुचर्चित अल्फांसों आम में भी देरी हो सकती है. अभी अल्फांसो फूल आने के पहले चरण में है और बारिश से फूलों को नुकसान होता है. यहीं हाल अंगूर, अंजीर और स्ट्रॉबेरी जैसे फलों का भी है. फूल वाली सभी फलों को बेमौसम बारिश का खामियाजा भुगतना पड़ता है.
तीन वर्षों से हो रहा काफी नुकसान
पिछले 35 वर्षों से अंगूर किसान और आपूर्तिकर्ता गुलाब नेहरकर को पिछले तीन वर्षों से जितना नुकसान हो रहा है, उतना नुकसान कभी नहीं हुआ. हिन्दुस्तान टाइम्स से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश पिछले तीन वर्षों से एक मुद्दा है. पिछले साल से, कोविड ने हमारे संकट को और भी बढ़ा दिया है. बारिश से फूल वाली सभी फसलें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं.
पुणे के जुन्नार के रहने वाले नेहरकर ने कहा कि बेमौसम बारिश से सिर्फ फूल को ही नुकसान नहीं हुआ है बल्कि फसलों पर कीट और बीमारी भी लग गई है. उनसे बचाव के लिए कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ रहा है. इससे लागत में काफी बढ़ोतरी आ गई है. कई किसान तो पिछले तीन साल के पैटर्न को देखकर खेती छोड़ने और जमीन बेचने की तैयारी कर रहे हैं.
देरी से आएंगे फल, बिक्री के लिए होगा कम समय
एपीएमसी में फल मंडी के निदेशक संजय पंसारे ने कहा कि अंगूर की तरह स्ट्रॉबेरी, अंजीर और आम को भी नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि अंगूर मुख्य रूप से नासिक, पुणे, सांगली और सोलापुर जिले से आते हैं. इन जिलों में भी बारिश हुई है. जहां भी बेमौसम बारिश हुई है, वहां फसलों को नुकसान पहुंचा है.
पंसारे ने कहा कि बारिश के बाद जो भी फल आ रहे हैं, सब निम्न गुणवत्ता के हैं. कीमत में बढ़ोतरी तो नहीं हुई है लेकिन गुणवत्ता वाले फल नहीं आ रहे. इस वजह से पहले से मौजूद उच्च गुणवत्ता वाले फलों को खरीदने के लिए लोग अधिक कीमत देने को तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि जो आम पहले 15 फरवरी तक बाजार में आ जाते थे, वह अब फरवरी के बाद ही आएंगे. देरी के कारण किसानों को बिक्री करने के लिए समय कम मिलेगा. पहले किसान 90 दिन तक फलों को बेच सकते थे, लेकिन देरी के कारण उनके पास मात्र 60 दिन होंगे. इससे किसानों के साथ ही व्यापारियों पर भी असर पड़ेगा.