खेती-किसानी

केला उत्पादको के लिए अच्छी खबर, ठंड के थमने से कीमतों में आई तेजी

ठंड के कारण इस साल बागवानी को बढ़े पैमाने पर नुकसान पहुँच था.खानदेश सहित मराठवाड़ा में केला के बाग बदलते मौसम और बीमारी से प्रभावित थे नतीजतन, उत्पादन में गिरावट आई है वही इस दौरान जालना में किसान परेशान होकर अपने बागों को नष्ट करने पर मजबूर होगये थे.उत्पादन की लागत और वास्तव में बागों की स्थिति से किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ है,और इस सर्दियों में और भी ज्यादा नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है. हालांकि अब धीरे धीरे स्थिति बदल रही है ठंड कम पढ़ते ही अब केले की मांगों में सुधार हो रहा है साथ ही कीमतों बढ़ोतरी देखी जा रही हैं. इतना ही नहीं आवक में वृद्धि से किसानों को बदलती स्थिति से लाभ होगा पहली बार केला उत्पादन को लेकर सकारात्मक माहौल बना है और किसान इसके ऐसे ही रहने की उम्मीद कर रहे हैं.

आवक में भी वृद्धि के साथ दरों में हुआ सुधार

ठंड की वजह से मांग में गिरावट आई थीं,जिसके चलते किसान केला बिक्री से बचने के लिए सतर्क हो गए थे, आखिर अब जब मौसम बदल गया है तो केले की मांग बढ़ रही हैं इसके चलते बाजार में आवक में तेज़ी देखी जा रह है अंतरिम आवक में वृद्धि के बावजूद दरें कम रहीं लेकिन अब तस्वीर बदल रही है 430 रुपये से 850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से है.जलगांव में रोजाना 16 टन केले कि आवक पहुंच रहे हैं कारोबारियों का कहना है कि पिछले 4 दिनों में आवक बढ़ी है.

विदेशों में जल्द ही शुरू होगा निर्यात

वर्तमान में, खानदेश केले उत्तरी राज्यों दिल्ली, पंजाब और कश्मीर से मांग आरही हैं इसलिए, दर में कुछ हद तक सुधार हो रहा है अच्छी क्वालिटी के केले 850 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहे हैं कारोबारियों ने कहा है कि अगर रेट ऐसे ही रहे तो जल्द ही इन्हें विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाएगा कोरोना के बढ़ते प्रसार के कारण निर्यात में कटौती की गई थी लेकिन किसानों को उम्मीद है कि अब सब कुछ ठीक हो जाएगा.

क्या स्थिति थी?

कृषि उत्पादकों का  कृषि उपज की गुणवत्ता पर निर्भर करती है इस साल लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन का सीधा असर न सिर्फ उत्पादन बल्कि सामानों पर भी पड़ा है इसलिए खरीफ सोयाबीन, कपास और अरहर की फसलों को गुणवत्ता के हिसाब से रेट मिले हैं वही अब अच्छे केले 600 रुपये प्रति क्विंटल और खराब माल 250 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहे है चूंकि पूरे वर्ष उत्पादन की लागत और अब वास्तविक व्यापारियों से खरीद के बीच एक बड़ा अंतर है,इसलिए किसनों के सामने ये बड़ा सवाल है कि लागत की गणना कैसे की जाए.

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