उत्तर प्रदेशवाराणसी

ज्ञानवापी मामला : प्रतिवादी पक्ष के वकीलों के विरोध के चलते सर्वे कार्य रूका, लौटी टीम

  • वादी पक्ष के अधिवक्ता ने बताया हमें वहां पहुंचने ही नहीं दिया गया
  • टीम के खिलाफ उग्र नारेबाजी ,एक युवक को पुलिस ने हिरासत में लिया

वाराणसी। न्यायालय के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर में लगातार दूसरे दिन शनिवार को सर्वे और वीडियोग्राफी का मस्जिद कमेटी पक्ष के अधिवक्ताओं ने जमकर विरोध किया। जिसके चलते सर्वे का काम नहीं हो पाया। मस्जिद में कड़ी सुरक्षा के बीच अधिवक्ता कमिश्नर और वादी पक्ष के पहुंचने के बाद लगभग एक घंटा देर से आये प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने उन्हें बैरिकेटिंग के अंदर पहुंचने ही नहीं दिया।

नाराज वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने बताया कि न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया था लेकिन उसका पालन नहीं हुआ । हमें वहां पहुंचने ही नहीं दिया गया । मुस्लिम समुदाय के लोग दरवाजे पर आकर खड़े हो गए। इस तरह सर्वे फिर रुक गया है। वादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने बताया कि कोर्ट में वे एक याचिका दायर करेंगे और 09 मई को सुनवाई में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखेंगे।

इससे पहले सर्वे के लिए अधिवक्ता कमिश्नर और वादी पक्ष की टीम पहुंची तो श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नम्बर चार के पास जुटे मुस्लिम युवाओं ने फिर उग्र नारेबाजी शुरू कर दी। माहौल बिगाड़ने पर आमादा युवकों को देख पुलिस ने भी सख्त रूख अपना लिया। नमाज पढ़ने आये युवाओं को समझाने के साथ हटाना शुरू किया तो रामनगर निवासी अब्दुल कलाम नाम का युवक उग्र हो गया। यह देख पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया तो माफी भी मांगने लगा।

उधर, इस मामले में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का ट्वीट भी सोशल मीडिया में चर्चा का विषय रहा। ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि काशी की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने का यह आदेश 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुला उल्लंघन है, जो धार्मिक स्थलों के रूपांतरण पर रोक लगाता है। यह सरकार का कर्तव्य है कि वो कोर्ट के बताए कि वह गलत क्यों कर रही है।

ओवैसी ने ट्वीट कर ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी सर्वे संबंधी वाराणसी कोर्ट के आदेश की निंदा की। उन्होंने कहा कि इस फैसले से एक बार फिर वैसा ही खून-खराबा शुरू हो सकता है, जैसा 1980-90 के दशक में मुस्लिम विरोधी हिंसा हुई थी। ‘काशी के ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का कोर्ट का आदेश ‘1991 प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ का उल्लंघन है। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के मुताबिक, धार्मिक स्थलों की प्रकृति बदलना गैरकानूनी है।

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