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‘धार्मिक नहीं थे सावरकर, गाय को माता मानने पर भी उठाए थे सवाल’, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने हिंदुत्व को लेकर बीजेपी पर साधा निशाना

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की किताब “सनराइज ओवर अयोध्या” (Sunrise Over Ayodhya: Nationhood in Our Times) का बुधवार को विमोचन किया गया. इस दौरान कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे. किताब के विमोचन के बाद उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि 1984 में जब वे सिर्फ 2 सीटों तक ही सीमित रह गए, तो उन्होंने राम जन्मभूमि विवाद को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने का फैसला किया क्योंकि 1984 में अटल बिहारी वाजपेयी का गांधीवादी समाजवाद विफल हो गया था.

दिग्विजय सिंह ने कहा, इसलिए, उन्हें कट्टर कट्टर धार्मिक कट्टरवाद के रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया गया, जिसके साथ आरएसएस और इसकी विचारधारा को जाना जाता है. आडवाणी जी की यात्रा ही समाज को बांटने वाली थी. वह जहां भी गए नफरत के बीज बोए. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज कहा जाता है कि हिंदू धर्म खतरे में हैं. 500 साल के मुगल और मुसलमानों के शासन में हिंदू धर्म का कुछ नहीं बिगड़ा. ईसाइयों के 150 साल के राज में हमारा कुछ नहीं बिगड़ा, तो अब हिंदू धर्म को खतरा किस बात का है.

‘समाज और हिंदू धर्म को खतरा नहीं’

उन्होंने आगे कहा, खतरा केवल उस मानसिकता और कुंठित सोची समझी विचारधारा को है जो देश में ब्रिटिश हुकूमत की ‘फूट डालो और राज करो’ की विचारधारा थी, उसको प्रतिवादित कर अपने आप को कुर्सी पर बैठाने का जो संकल्प है, खतरा केवल उन्हें है. समाज और हिंदू धर्म को खतरा नहीं है.

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा “… ‘हिंदुत्व’ का हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. सावरकर धार्मिक नहीं थे. उन्होंने कहा था कि गाय को ‘माता’ क्यों माना जाता है और उन्हें गोमांस खाने में कोई समस्या नहीं है. हिंदू पहचान स्थापित करने के लिए वह ‘हिंदुत्व’ शब्द लाए. जिससे लोगों में भ्रम पैदा हो गया.

पी चिदंबरम ने क्या कहा?

वहीं पी चिदंबरम ने कहा, गांधी जी जो सोचते थे, वह ‘राम राज्य’ था, अब वह ‘राम राज्य’ नहीं रह गया है, जिसे कई लोग समझते हैं. पंडित जी ने हमें धर्मनिरपेक्षता के बारे में जो बताया, वह धर्मनिरपेक्षता नहीं है जिसे बहुत से लोग समझते हैं. धर्मनिरपेक्षता स्वीकृति से सहिष्णुता और सहिष्णुता से असहज सहअस्तित्व की ओर बढ़ गई है.

पी चिदंबरम ने कहा, ”6 दिसंबर 1992 को जो कुछ भी हुआ वह बहुत गलत था. इसने हमारे संविधान को बदनाम किया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, एक साल के भीतर सभी को बरी कर दिया गया तो जैसे किसी ने जेसिका को नहीं मारा, वैसे ही किसी ने बाबरी मस्जिद को नहीं गिराया. उन्होंने आगे कहा, यह निष्कर्ष हमें हमेशा परेशान करेगा कि जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, एपीजे अब्दुल कलाम के इस देश में… और आजादी के 75 साल बाद, हमें यह कहते हुए शर्म नहीं आती कि किसी ने बाबरी मस्जिद को नहीं तोड़ा.

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