केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए समिति गठित करने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा से पांच लोगों के नाम मांगे हैं. किसान नेता दर्शनपाल ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि किसान संगठन इस मामले में चार दिसंबर को होने वाली बैठक में फैसला लेंगे. यह कदम ऐसे समय में सामने आया है, जब एक दिन पहले ही संसद के दोनों सदन में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए विधेयक पारित किया गया है. किसान इन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर पिछले एक साल से आंदोलनरत हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि भारत सरकार की ओर से पंजाब किसान संघ के नेता को एक टेलीफोन कॉल आया था. इसमें कहा गया, ‘सरकार चाहती है कि एसकेएम की ओर से एक समिति के लिए पांच किसानों के नामों का सुझाव दिया जाए.’ एसकेएम ने कहा, ‘हालांकि, हमें इस बारे में कोई लिखित सूचना नहीं मिली है और न ही इस बारे में कोई डिटेल उपलब्ध है कि यह समिति किस बारे में है.’
समिति के गठन के लिए एसकेएम से मांगे पांच नाम
वहीं, दर्शन पाल ने कहा, ‘आज केंद्र ने उस समिति के गठन के लिए एसकेएम से पांच नाम मांगे हैं, जो फसलों के लिए एमएसपी के मुद्दे पर विचार-विमर्श करेगी. हमने अभी नामों को लेकर फैसला नहीं लिया है. हम इस बारे में चार दिसंबर को होने वाली हमारी बैठक में फैसला लेंगे.’ मोर्चा ने मंगलवार को जारी एक बयान में यह साफ किया कि लंबित मांगों और किसान आंदोलन (Farmer Protest) के भविष्य के कदमों पर निर्णय लेने के लिए होने वाली बैठक बुधवार के बजाय चार दिसंबर को होगी.
पंजाब के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने सोमवार को कहा था कि संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेने के लिए बुधवार को आपात बैठक बुलाई है. मोर्चा ने कहा, ‘एसकेएम में शामिल सभी संगठन हालात का जायजा लेंगे और आंदोलन संबंधी आगामी कदमों के बारे में चार दिसंबर की बैठक में फैसला लेंगे, जैसा कि पहले उसने घोषणा की थी. एसकेएम इस बैठक की तारीख में अब कोई बदलाव नहीं होगा.’ एसकेएम ने कहा कि ये बैठक सिंघू बॉर्डर पर होगी.
अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए बुधवार को बैठक
बयान में कहा गया कि हरियाणा के किसान संगठन लंबित मांगों और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए बुधवार को बैठक करेंगे. किसान नेता और एसकेएम सदस्य अभिमन्यु कोहार ने कहा, ‘संयुक्त किसान मोर्चा की कोई बैठक कल नहीं होगी. एसकेएम की चार दिसंबर को होने वाली बैठक में किसानों की सभी लंबित मांगों और केंद्र सरकार के रुख पर विस्तार से चर्चा की जाएगी. हम बैठक में भविष्य की रणनीति तय करेंगे और उसी के अनुसार घोषणा करेंगे.’