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हरियाणा के गुरुग्राम में शुक्रवार को यहां गुरुद्वारा सिंह सभा में नमाज नहीं पढ़ी गई और सिख समुदाय के कुछ सदस्यों ने वहां मुस्लिमों को नमाज अदा करने की अनुमति देने के धर्मस्थल प्रबंधन समिति के फैसले का विरोध किया. इन लोगों ने कहा कि अगर गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने गुरुद्वारा परिसर में नमाज अदा करने के फैसले को आगे बढ़ाया तो वे इसका विरोध करेंगे.
संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के सदस्य दोपहर करीब 12 बजे गुरुद्वारे पहुंचे और लोगों को ‘गुरु तेग बहादुर-हिंद की चादर’ नामक किताबें वितरित कीं. ये लोग दोपहर दो बजे तक वहीं रहे और विरोध दर्ज कराया. उधर मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने ‘त्योहार पर किसी अप्रिय घटना से बचने’ के लिए गुरुद्वारे में नमाज नहीं अदा करने का फैसला किया.
गुरुद्वारा प्रबंधन ने की थी नमाज़ की जगह की पेशकश
Committee had decided to offer space for Nawaz if Muslims were facing problems; will let them offer Namaz here.Due to Gurpurb, they (Muslims) themselves refused to offer namaz to avoid any conflict.We'll take (final)decision on namaz next week: Daya Singh, Gurudwara Member(19.11) https://t.co/wGyaWciuW3 pic.twitter.com/nUm3n3jDxt
— ANI (@ANI) November 20, 2021
गुरुद्वारा कमिटी के मेंबर दया सिंह ने बताया- समिति ने नमाज़ के लिए जगह देने का फैसला किया था, क्योंकि मुसलमानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था; हम उन्हें यहां नमाज अदा करने देंगे. गुरपर्व के कारण, उन्होंने (मुसलमानों ने) किसी भी संघर्ष से बचने के लिए खुद ही कल नमाज पढ़ने से इनकार कर दिया था. हम अगले सप्ताह नमाज पर आखिरी फैसला लेंगे.
प्रबंधन समिति के प्रवक्ता दया सिंह ने कहा, ‘हमने जुमे की नमाज के लिए पास के स्कूल और गुरुद्वारे के बेसमेंट में एक खुली जगह की पेशकश की थी, लेकिन मुस्लिम भाइयों ने नमाज अदा नहीं करने का फैसला किया. वे गुरुपरब के अवसर पर कोई विवाद नहीं चाहते थे.’ जमीयत उलेमा हिंद, गुरुग्राम के अध्यक्ष मुफ्ती मोहम्मद सलीम और गुरुग्राम मुस्लिम काउंसिल के सह-संस्थापक अल्ताफ अहमद सहित एक प्रतिनिधिमंडल ने शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए धन्यवाद देने के वास्ते शुक्रवार दोपहर समिति के सदस्यों से मुलाकात की.
क्या है विवाद
गुरुग्राम प्रशासन ने पूर्व में स्थानीय निवासियों की आपत्तियों का हवाला देते हुए शहर के 37 सार्वजनिक मैदानों में से आठ में जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति रद्द कर दी थी. संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के कानूनी सलाहकार कुलभूषण भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने ‘गुरु तेग बहादुर-हिंद की चादर’ नामक 2,500 पुस्तकों का वितरण किया और गुरु नानक देव को श्रद्धांजलि दी.
उन्होंने कहा, ‘हम वहां नमाज के लिए अपने परिसर की पेशकश करने के गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के फैसले के विरोध में नहीं गए थे. हम परिसरों के अंदर नमाज की पेशकश करने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं, चाहे वह किसी भी समुदाय से हो. हम सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा करने की प्रथा के खिलाफ हैं.’ भारद्वाज ने कहा, ‘अगर कोई मुस्लिमों को नमाज के लिए अपने गैराज, घर या पूजा स्थल में खुली जगह दे रहा है, तो यह उनकी अपनी पसंद है. हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है.’
सिख समुदाय में ही एक राय नहीं!
नमाज के लिए गुरुद्वारा परिसर की पेशकश किए जाने के फैसले को लेकर सिख समुदाय में सभी की राय एक जैसी नहीं है. स्थानीय निवासी जवाहर सिंह ने कहा, ‘वे गुरुद्वारे में नमाज नहीं पढ़ सकते. श्री गुरु ग्रंथ साहिबजी इसकी इजाजत नहीं देते. प्रबंधक (प्रबंधन) समिति ने उन्हें नमाज पढ़ने की इजाजत दी, लेकिन हम इसके पक्ष में नहीं हैं.’
गुरचरण सिंह ने कहा, ‘सभी धर्मों के लोगों का स्वागत है लेकिन गुरुद्वारे में केवल गुरबानी हो सकती है और कुछ नहीं. गुरुद्वारे की संपत्ति का इस्तेमाल ऐसे किसी भी उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता जो श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की ‘मर्यादा’ के खिलाफ हो.’ जवाहर सिंह ने दावा किया कि प्रबंधन समिति ने सिख संगत से कहा है कि वह 21 नवंबर को उत्सव खत्म होने के बाद फैसले की समीक्षा करेगी. सेक्टर 29 स्थित लेजर वैली मैदान में करीब शुक्रवार की नमाज बिना किसी व्यवधान के हुई.