केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखा और आंदोलनरत किसानों की छह मांगें रखीं. साथ ही कहा कि सरकार को तुरंत किसानों से वार्ता बहाल करनी चाहिए, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गए खुले पत्र का विषय था राष्ट्र के नाम आपका संदेश और आपके नाम किसानों का संदेश.
पत्र में संयुक्त किसान मोर्चा ने लिखा कि देश के करोड़ों किसानों ने 19 नवंबर 2021 की सुबह राष्ट्र के नाम आपका संदेश सुना. हमने गौर किया कि 11 राउंड वार्ता के बाद आपने द्विपक्षीय समाधान की बजाय एकतरफा घोषणा का रास्ता चुना, लेकिन हमें खुशी है कि आपने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है. हम इस घोषणा का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपकी सरकार इस वचन को जल्द से जल्द और पूरी तरह निभाएगी. प्रधानमंत्री जी, आप भली-भांति जानते हैं कि तीन काले कानूनों को रद्द करना इस आंदोलन की एकमात्र मांग नहीं है. संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के साथ वार्ता की शुरुआत से ही तीन और मांगे उठाई थी.
1. खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिया जाए ताकि देश के हर किसान को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी हो सके. (स्वयं आपकी अध्यक्षता में बनी समिति ने 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को ये सिफारिश दी थी और आपकी सरकार ने संसद में भी इसके बारे में घोषणा भी की थी)
2. सरकार की ओर से प्रस्तावित “विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021” का ड्राफ्ट वापस लिया जाए. (वार्ता के दौरान सरकार ने वादा किया था कि इसे वापस लिया जाएगा, लेकिन फिर वादाखिलाफी करते हुए इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया था)
3. “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021” में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए. ( इस साल सरकार ने कुछ किसान विरोधी प्रावधान तो हटा दिए, लेकिन सेक्शन 15 के माध्यम से फिर किसान को सजा की गुंजाइश बना दी गई है)
आपके संबोधन में इन बड़ी मांगों पर ठोस घोषणा ना होने से किसानों को निराशा हुई है. किसान ने उम्मीद लगाई थी की इस ऐतिहासिक आंदोलन से न सिर्फ तीन कानूनों की बला टलेगी, बल्कि उसे अपनी मेहनत के दाम की कानूनी गारंटी भी मिलेगी. प्रधानमंत्री जी, पिछले एक साल में इस ऐतिहासिक आंदोलन के दौरान कुछ और मुद्दे भी उठे हैं, जिनका तत्काल निपटारा करना अनिवार्य है.
4. दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान (जून 2020 से अब तक) सैकड़ों मुकदमों में फंसाया गया है. इन केसों को तत्काल वापस लिया जाए.
5. लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी आज भी खुले घूम रहे हैं और आपके मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं. वो आपके और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच भी साझा कर रहे हैं, उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए.
6. इस आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहादत दे चुके हैं. उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो. शहीद किसानों स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंघू बॉर्डर पर जमीन दी जाए.
प्रधानमंत्री जी, आपने किसानों से अपील की है कि अब हम घर वापस चले जाए. हम आपको यकीन दिलाना चाहते हैं कि हमें सड़क पर बैठने का शौक नहीं है. हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द इन बाकी मुद्दों का निपटारा कर हम अपने घर, परिवार और खेती बाड़ी में वापस लौटे. अगर आप भी यही चाहते हैं तो सरकार उपरोक्त छह मुद्दों पर अविलंब संयुक्त किसान मोर्चा के साथ वार्ता शुरू करे, तब तक संयुक्त किसान मोर्चा अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक इस आंदोलन को जारी रखेगा.