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राजधानी दिल्ली सहित देशभर में शान्तिपूर्वक अदा की गई ईद की नमाज

  • देश में अमन-चैन और विश्व से कोरोना महामारी के खात्मे के लिए विशेष दुआएं मांगी गई

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली सहित देशभर में ईद-उल-फित्र की नमाज पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था के बीच शांतिपूर्वक मनाई गई। दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में सबसे पहले सुबह 6 बजे ईद-उल-फित्र की नमाज अदा की गई। शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने हजारों की तादाद में आए नमाजियों को ईद की नमाज अदा कराई। बाड़ा हिंदू राव स्थित शाही ईदगाह और शाही मस्जिद फतेहपुरी में भी ईद की नमाज पूरे जोश और अकीदत के साथ अदा की गई है। शाही मस्जिद फतेहपुरी में इमाम डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने नमाज अदा कराई।

इसके अलावा देशभर की ईदगाहों, मस्जिदों, दरगाहों आदि में नमाज-ए-ईद अदा की गई। इस मौके पर देश में शांति, खुशहाली, तरक्की आदि के लिए विशेष दुआएं की गईं। कोरोना वायरस महामारी के दो साल बाद इस वर्ष मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए लोगों में काफी उत्साह दिखाई पड़ा। ईद की नमाज में खासतौर से दुनियाभर से कोरोना वायरस महामारी की समाप्ति के लिए विशेष दुआएं की गईं।

गौरतलब है कि पिछले दो साल से कोरोना वायरस महामारी की वजह से ईदगाहों और मस्जिदों आदि में ईद की नमाज अदा नहीं की जा रही थी। इस दौरान दो साल लोगों ने घरों पर ही ईद की नमाज अदा की। इसलिए इस वर्ष लोगों में मस्जिदों और ईदगाहों में जाकर नमाज अदा करने को लेकर काफी उत्साह और जोश दिखाई दिया। ईद की नमाज में बड़ी संख्या में मुसलमानों ने हिस्सा लिया।

दिल्ली की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद में क्षेत्रीय मुसलमानों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों और एनसीआर से भी बड़ी संख्या में लोग नमाज अदा करने के लिए आए थे। मस्जिद के साथ-साथ पूरा सेहन और उसकी सीढ़ियां एवं आसपास के रास्ते भी नमाजियों से भर गए। कुछ इसी तरह का नजारा शाही मस्जिद फतेहपुरी में भी ईद की नमाज के दौरान नजर आया। यहां शाही इमाम डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने नमाज अदा कराई।

इस मौके पर शाही इमाम ने विश्व में शांति, कोरोना वायरस महामारी से निजात, देश में अमन-शांति के लिए विशेष तौर से दुआएं कीं। ईद की नमाज के बाद मुसलमानों ने एक-दूसरे से गले मिलकर कर मुबारकबाद भी पेश की। इस दौरान पुरानी दिल्ली के इलाके में मेले का समां दिखाई दिया। पूरा इलाका खाने-पीने की चीजों और बच्चों के खिलौने आदि से गुलजार नजर आया। इस मौके पर बच्चों की खुशियां देखते ही बनती थीं। हर किसी ने नए-नए लिबास पहनकर एक-दूसरे को मुबारकबाद पेश की।

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