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हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में किया जाना चाहिए स्वीकार: अमित शाह

नयी दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में हिंदी को स्वीकार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। गृह मंत्री ने संसद परिसर में संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा और निशिथ प्रामाणिक, संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष भृर्तहरि महताब समेत कई नेतागण उपस्थित रहे। बैठक के दौरान गृह मंत्री ने समिति सदस्यों की सर्वसम्मति से समिति की रिपोर्ट के 11वें खंड को राष्ट्रपति के पास भेजने को मंज़ूरी दी।

गृह मंत्री ने कहा कि हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए न कि स्थानीय भाषाओं के लिए। अमित शाह ने कहा कि जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं के शब्दों को स्वीकार करके हिंदी को लचीला नहीं बनाते, तब तक इसका प्रचार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण अंग बनाया जाए।

इसी बीच अमित शाह ने कहा कि जब राज्यों के नागरिक एक-दूसरे से संवाद करते हैं, तो यह एक भारतीय भाषा होनी चाहिए, चाहे वह क्षेत्रीय हो या राज्य-विशिष्ट। गृह मंत्री ने समिति के सदस्यों को बताया कि कैबिनेट के एजेंडे का 70 फीसदी हिस्सा हिंदी में तैयार किया गया है।

उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में 22,000 हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है। साथ ही उत्तर पूर्व के 9 आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपियों को देवनागरी में बदल दिया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर के सभी 8 राज्यों में दसवीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने पर सहमति बनी।

गृह मंत्री ने तीन मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया। एक यह है कि समिति से अनुरोध है कि रिपोर्ट के पहले से 11वें खंड तक की गई सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए जुलाई में एक बैठक आयोजित की जाए। दूसरे बिंदु के तहत उन्होंने कक्षा 9 तक के छात्रों को हिंदी का प्रारंभिक ज्ञान देने और हिंदी शिक्षण परीक्षाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। तीसरे बिंदु के तहत गृह मंत्री ने हिंदी शब्दकोश को संशोधित कर पुनः प्रकाशित करने का सुझाव दिया।

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