जामा मस्जिद में जुमे के दिन हजारों की संख्या में लोगों ने किया रोजा-इफ्तार

- कोरोना महामारी की वजह से दो साल से नहीं मिला था मौका
नई दिल्ली। रमजान का मुबारक महीना चल रहा है। इस पाक महीने का आज दूसरा जुमा (शुक्रवार) था। मुसलमानों के जरिए आज बड़ी तादाद में मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा की गई। इस मौके पर दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में नमाजियों का हुजूम उमड़ पड़ा, लेकिन रमजान की असल रौनक रोजा इफ्तार के वक्त दिखाई दी। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ आज जामा मस्जिद में बड़ी संख्या में रोजा-इफ्तार के लिए पहुंचे। इसमें महिलाएं, बूढ़े और बच्चे सभी शामिल थे। इस दौरान जामा मस्जिद के परिसर में इफ्तार का बहुत ही दिलकश और हसीन नजारा देखने को मिला। हजारों की तादाद में यहां मुसलमान जामा मस्जिद के सेहन में अपने-अपने ग्रुप में बैठे और इफ्तार खोलने के समय का इंतजार करते नजर आए।
उल्लेखनीय है कि गत दो साल से देश में कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन और इसकी रोकथाम के लिए सरकार की तरफ से लगाई गई पाबंदियों की वजह से जामा मस्जिद में यह नजारा देखने को नहीं मिल रहा था। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कम होते प्रभाव और सरकार की तरफ से हटाई गई पाबंदियों की वजह से बड़ी संख्या में मुसलमान यहां पर आकर इफ्तार करने के लिए जमा हो रहे हैं। यहां पर आए मुसलमानों को देखकर लगता है कि उनके अंदर अब कोरोना महामारी को लेकर खौफ कम हो गया है, क्योंकि यहां पर आए लोगों के जरिए किसी भी तरह की कोई भी सावधानी नहीं बरती जा रही है। बहुत ही कम लोगों को यहां पर मास्क लगाए हुए देखा गया। इसके अलावा यहां पर किसी भी तरह की कोई भी सोशल डिस्टेंसिंग की भी व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही लोगों को सैनिटाइज करने के लिए यहां पर सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है।
जामा मस्जिद में वैसे ही रोजा इफ्तार के लिए लोगों की बड़ी तादाद पहुंचती है। इसमें स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों और दिल्ली में खरीदारी करने के लिए आने वालों की अच्छी खासी तादाद होती है। रमजान के महीने में जामा मस्जिद को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। यही वजह से दिन के ढलते ही इसका नजारा बहुत दिलकश हो जाता है। आज शुक्रवार होने की वजह से यहां पर बड़ी तादाद में लोग अपने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ जमा हुए। लोगों में माहे-रमजान की खुशी भी दिखाई पड़ी। लोग एक- दूसरे को अपनी लाई गई इफ्तार का आदान-प्रदान भी करते दिखे। कुछ लोग खजूर और कुछ अन्य खाने-पीने का सामान लोगों को बांटते हुए भी दिखाई दिए। जैसे-जैसे शाम ढलती गई, वैसे-वैसे भीड़ में और भी इजाफा होता गया। भीड़ को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यहां पर तिल रखने की भी जगह नहीं थी।
जैसे ही इफ्तार का समय हुआ, परंपरा के अनुसार यहां पर पटाखे और बम छोड़ कर लोगों को इसकी सूचना दी गई। इसके बाद जामा मस्जिद की सारी लाइटें एक साथ ऑन कर दी गईं, ताकि यहां मौजूद लोग और दूर-दराज रहने वाले लोग जामा मस्जिद की मीनारों में लगी लाइट को देख कर के अपना रोजा इफ्तार कर सकें। पूरे रमजान भर जामा मस्जिद में यही नजारा रहता है। बताया जाता है कि पहले यहां रोजा इफ्तार के लिए एक हल्की तोप से गोले दागे जाते थे, लेकिन ध्वनि प्रदूषण के मद्देनजर एक अदालती आदेश की वजह से इस परंपरा को बंद कर दिया गया है।
इस सिलसिले में यहां आए कुछ लोगों से हमने बात की तो लोगों ने बताया कि उन्हें यहां आकर काफी खुशी महसूस हो रही है और वह रोजा इफ्तार से अच्छी तरह से इंजॉय भी कर रहे हैं। अब्दुल रहमान ने बताया कि वो हर साल अपने परिवार के साथ यहां पर रोजा इफ्तार करने के लिए आते रहे हैं, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से पिछले 2 साल से वो यहां पर नहीं आए थे जिसकी उन्हें काफी कसक थी। इस बार यहां पर आकर उन्हें काफी अच्छा लगा।
एक अधेड़ उम्र की महिला बिलकीस बानो ने बताया कि उन्हें अपने पति, बच्चों और दूसरे रिश्तेदारों के साथ यहां पर आकर इफ्तार करने में काफी मजा आया। यहां पर एक युवक शाकिर खान भी अपने कुछ दोस्तों के साथ इफ्तार करने के लिए आए। उनका कहना है कि वह और उनके दोस्त सीलमपुर से यहां पर इफ्तार करने के लिए आए हुए हैं। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से आए मोहम्मद जाकिर ने बताया कि उनके परिवार के बहुत सारे लोग पुरानी दिल्ली में रहते हैं।
उन्होंने यहां पर इफ्तार के लिए दावत दी थी जिसमें शामिल होने के लिए वो यहां पर आए और उन्हें यहां आकर काफी अच्छा महसूस हुआ है। एक बुजुर्ग मुर्तुजा हुसैन ने बताया कि वह लगभग 50 साल से यहां पर आते हैं, लेकिन इस बार रमजान में जितनी भीड़ वह देख रहे हैं, इतनी भीड़ यहां पर पहले नहीं हुआ करती थी। उनका कहना है कि शायद लोग कोरोना महामारी की वजह से लगाई गई पाबंदियों से छुटकारा मिलने की खुशी मना रहे हैं।