LAC पर चीन की नापाक चालों से निपटेगा ये खास रडार, सेना द्वारा मांगे गए इस हथियार की क्या है खासियत?
भारतीय सेना ने चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच चीनी सेना के खतरे का पता लगाने और इस से निपटने के लिए एक ‘लो लेवल लाइटवेट रडार’ (LLLWR) से खुद को लैस करने की मांग की है. अधिकारियों ने सोमवार को इसकी जानकारी दी. दरअसल, चीन के साथ लगने वाली सीमा पर पर्वतीय क्षेत्र होने की वजह से निगरानी रखने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारियों ने बताया कि ये इलाका कम ऊंचाई पर उड़ने पर वाले दुश्मन के विमानों, हेलीकॉप्टरों और मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के लिए मददगार है.
सेना द्वारा जिन रडार की मांग की गई है, वे मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट की लिस्ट में शामिल हैं. इसके जरिए भारतीय सेना ने रक्षा उद्योग के साथ साझेदारी कर आगे बढ़ाने की योजना बनाई है. इस लिस्ट को सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे द्वारा सोमवार को जारी किया गया. इसमें सर्विलांस और आर्म्ड ड्रोन स्वार्म, काउंटर ड्रोन सिस्टम, इन्फ्रैंट्री वेपन्स ट्रेनिंग सिम्युलेटर, रोबोटिक्स सर्विलांस प्लेटफॉर्म, पोर्टेबल हेलिपैड्स और कई तरीके के हथियार शामिल हैं. सेना एक 3डी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक स्कैन एरे रडार चाहती है, जिसमें एयर डिफेंस हथियारों के सामरिक नियंत्रण के साथ 50 किमी की रेंज हो.
चीन के साथ सीमा पर 18 महीनों से जारी है तनाव
दरअसल, आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए सरकार ने 209 रक्षा वस्तुओं की दो लिस्ट को नोटिफाइड किया है. इन वस्तुओं के आयात पर बैन लगाया गया है. ये बैन 2021 से 2025 तक लागू रहने वाला है. यही वजह है कि LLLWR उन हथियारों और सिस्टम में से एक है, जिन्हें आयात नहीं किया जा सकता है. चीन के साथ उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर सेना को इन रडार की जरूरत है. दोनों ही तरफ चीनी सेनाओं ने अपनी गतिविधि बढ़ाई है. पिछले 18 महीनों से भारत और चीन सीमा विवाद में उलझे हुए हैं. अभी तक सीमा विवाद को सुलझाने के लिए हुई बैठकों में कोई ठोस निर्णय नहीं निकल पाया है.
भारतीय वायुसेना कर रही है LLLWR का इस्तेमाल
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने हवाई टारगेट का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने के लिए उच्च ऊंचाई वाले मैदानों और पहाड़ों में जमीनी निगरानी के लिए अश्लेषा एमके I (Aslesha Mk I) नामक एक LLLWR को तैयार किया है. अधिकारियों ने कहा कि भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने अश्लेषा रडार को अपने बेडे़ में शामिल कर लिया है, लेकिन सेना ने इसे ऑर्डर नहीं करने का फैसला किया, क्योंकि इसकी जरूरतें काफी अलग थीं. अधिकारियों ने कहा कि चीन सीमा पर गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए LLLWR की तत्काल जरूरत है.
LAC पर बढ़ाई गई तैनाती
भारतीय सेना ने हवाई खतरों से निपटने के लिए हाल ही में अपग्रेडेड L-70 एयरक्राफ्ट गन को अपने बेडे़ में शामिल किया है. इसकी तैनाती पहली बार उच्च ऊंचाई वाले स्थानों पर की गई है. L-70 तोप की रेंज 3.5 किमी है और ये दुश्मन के विमानों, आर्म्ड हेलिकॉप्टर और यूएवी को हवा में ढेर करने में सक्षम है. भारत और चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी मौजूदगी को बढ़ा लिया है. सीमा के दोनों ओर सैन्य गतिविधियों में वृद्धि, बुनियादी ढांचे के विकास, निगरानी और चल रहे सीमा गतिरोध के बीच दोनों ही सेनाओं द्वारा युद्धाभ्यास भी किया जा रहा है.