उत्तराखंडदेश

जोशीमठ में राहत एवं बचाव कार्य तेज, पीएमओ ने स्थिति का जायजा लिया

गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कम से कम 82 और परिवारों को जल्द से जल्द अस्थायी राहत केंद्रों में ले जाना होगा। कुमार जमीनी स्तर पर स्थिति की निगरानी करने वाली एक समिति के प्रमुख हैं और वह बृहस्पतिवार से जोशीमठ में डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में कुल 4,500 इमारतें हैं और इनमें से 610 में बड़ी दरारें आ गई हैं, जिससे वे रहने लायक नहीं रह गई हैं। उन्होंने कहा कि एक सर्वेक्षण चल रहा है और प्रभावित इमारतों की संख्या बढ़ सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘जोशीमठ में काफी समय से जमीन धंसने का सिलसिला धीरे-धीरे चल रहा है, लेकिन पिछले एक सप्ताह में यह बढ़ गया है। घरों, खेतों और सड़कों में भारी दरारें दिखाई दे रही हैं।’’ उत्तराखंड सरकार ने हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) और देहरादून स्थित भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस) से सेटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से जोशीमठ क्षेत्र का अध्ययन करने और फोटो के साथ विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का अनुरोध किया है।

जोशीमठ में जमीन धंसने और घरों में दरारें पड़ने के मुद्दे पर गौर करने के वास्ते एक सेवानिवृत न्यायाधीश की अगुवाई में समिति बनाने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गयी है। इससे पहले, जोशीमठ संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के अनुरोध को लेकर एक साधु ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन का धंसना मुख्य रूप से राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) की तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के कारण है और यह एक बहुत ही गंभीर चेतावनी है कि लोग पर्यावरण के साथ इस हद तक खिलवाड़ कर रहे हैं कि पुरानी स्थिति को फिर से बहाल कर पाना मुश्किल होगा।

Previous page 1 2 3

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button