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मायावती ने इस बेटी को दिया आशीर्वाद, पार्टी में बनीं नंबर दो की महिला चेहरा

लखनऊ: यूं तो बसपा पार्टी में मायावती ही सुप्रीम हैं, लेकिन महिला प्रमुख होने के बावजूद भी पार्टी में महिलाओं के नेतृत्व का संकट काफी रहा है. वैसे काफी समय से राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र की पत्नी कल्पना मिश्रा तो सक्रिय हैं लेकिन वह पार्टी में किसी पद पर नहीं हैं. अब बीएसपी चीफ ने ‘निर्भया केस’ की वकील रहीं एडवोकेट सीमा कुशवाहा को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया है. साथ ही उन्हें प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार-प्रसार का जिम्मा भी दिया गया है. इस संदर्भ में जब ‘ईटीवी भारत’ ने सीमा कुशवाहा से बसपा से जुड़ने को लेकर बात की तो वह पार्टी नेता मायावती का नाम लेते ही भावुक हो गईं. जहां उन्होंने कहा कि बसपा प्रमुख मायावती ने उन्हें बेटी के तौर पर आशीर्वाद दिया है.

सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय का दिलाया संकल्प

एडवोकेट सीमा कुशवाहा ने कहा कि बसपा प्रमुख मायावती ने आशीर्वाद के साथ-साथ ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय, का संकल्प दिलाया है. उन्होंने बताया कि दलित-गरीब, मजदूर, किसान, महिलाओं, युवा-युवतियों के हित में काम करना है. सभी वर्गों को साथ लेकर चलना है. इसी प्रतिज्ञा के साथ वह क्षेत्र में बसपा को मजबूत कर रही हैं.

अब तक कर चुकी हैं 50 से ज्यादा जनसभा

इटावा की रहने वाली सीमा कुशवाहा दिल्ली के निर्भया मामले में पीड़ित पक्ष की वकील थीं. उन्होंने कानूनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया. महिला अधिकारों की मुखर वकालत करने वाली कुशवाहा ने निर्भया मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पैरवी कर पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाया. सीमा कुशवाहा ने 20 जनवरी को बसपा ज्वाइन की थी. 3 फरवरी को उन्हें बहुजन समाज पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया गया है. सीमा के मुताबिक अब तक वह पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में हाथरस, टूंडला, फिरोजाबाद, औरैया आदि इलाकों में 50 जनसभा कर चुकी हैं.

सीमा के जरिये पार्टी की इन वोटों पर नजर

सीमा कुशवाहा की बसपा में ज्वाइनिंग में पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा का अहम रोल माना जाता है. पार्टी का दावा है कि सीमा कुशवाहा पश्चिम यूपी, इटावा ,बुंदेलखंड क्षेत्र में मौर्य, शाक्य, कुशवाहा समाज में अच्छी पकड़ रखती हैं. इससे पार्टी को विधानसभा चुनाव में फायदा होगा.

कई सीटों पर प्रभावी है आबादी

यूपी में यादव और कुर्मियों के बाद ओबीसी में तीसरा सबसे बड़ा जाति समूह मौर्य समाज का है. यह समाज मौर्य के साथ-साथ शाक्य, सैनी, कुशवाहा, कोइरी, काछी के नाम से भी जाना जाता है. यह आबादी कई सीटों पर प्रभावी है. यूपी में करीब 6 फीसदी मौर्य-कुशवाहा की आबादी है, लेकिन करीब 15 जिलों में 15 फीसदी के करीब हैं. पश्चिमी यूपी के जिलों में सैनी समाज के रूप में पहचान है, तो बृज से लेकर कानपुर देहात तक शाक्य समाज के रूप में जाने जाते हैं. बुंदेलखंड और पूर्वांचल में कुशवाहा समाज के नाम से जानी जाती है, तो अवध और रुहेलखंड व पूर्वांचल के कुछ जिलों में मौर्य नाम से जानी जाती है.

बदलता रहा समुदाय का समर्थन

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी समाज का वोट किसी एक पार्टी के साथ प्रदेश में कभी नहीं रहा है. यह समाज चुनाव दर चुनाव अपनी निष्ठा को बदलता रहा है. आजादी के बाद कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा. इसके बाद लोकदल और जनता दल के भी साथ गया. इसके बाद सपा और बसपा के बीच अलग-अलग क्षेत्रों में बंटता रहा है. 2017 में बीजेपी को 90 फीसदी मौर्य समाज का वोट मिला था.

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