हमीरपुर

एक बेमिसाल गुमनाम   क्रांतिकारी विश्वनाथ वैशम्पायन की जयन्ती पर देश की आजादी में योगदान को याद कर किया नमन

हमीरपुर। आजादी के संघर्ष मे देशभक्तों की महत्ता के मद्देनजर वर्णिता संस्था के तत्वावधान में सुमेरपुर कस्बे में विमर्श विविधा के अन्तर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत एक बेमिसाल गुमनाम   क्रातिकारी विश्वनाथ वैशम्पायन की जयन्ती पर संस्था के अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि वैशम्पायन सही मायने मे मां भारती के एक संघर्षी सपूत थे। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। विश्वनाथ वैशम्पायन का जन्म 28 नवम्बर 1910 को बांदा मे हुआ था। इनके पिता स्वास्थ्य विभाग मे थे, पिता का स्थानांतरण झांसी हो जाने के बाद विश्वनाथ ने सरस्वती विद्यालय झांसी से पढाई करने के दौरान देशभक्त मास्टर रुद्रनारायण तथा क्रांतिकारी शचीन्द्र नाथ बख्शी से जुड़ने के बाद चन्द्रशेखर आजाद के विश्वस्त साथी बन गये। भगतसिंह के साथ रहकर उन्होंने बम बनाना सीखा। बाद में इन्होंने भगत सिंह को लाहौर जेल से छुडाने का प्रयास किया मगर भगत सिंह तैयार नहीं हुये। भगवती चरण वोहरा, सुखदेव राज और वैशम्पायन ने 1930 में रावी नदी के तट पर बम परीक्षण किया, जिसमें बम ब्लास्ट होने मे वोहरा शहीद हो गये। आजाद और वैशम्पायन ने इलाहाबाद और कानपुर को अपना कर्मक्षेत्र चुना। इसके बाद 11 फरवरी 1931 को विश्वनाथ को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। ये नैनीताल और दिल्ली जेल मे रहे। इन पर ग्वालियर और दिल्ली केस को लेकर मुकदमा चलाया गया तथा आजन्म कारावास की सजा दी गयी। देश की आजादी के बाद भी ये लोकसेवी रहे। कालान्तर में 20 अक्टूबर 1967 को इनका निधन हो गया। श्रृद्धांजलि कार्यक्रम में सिद्धा, प्रेम, दयाराम सोनकर, संतोष, महावीर, सागर,भोलू सिंह, रिचा, दस्सी, अजय, होरी लाल आदि ने इनके योगदान को यादकर इन्हे नमन करते हुये श्रृद्धा सुमन अर्पित किये।

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